अब इंडिया में लड्डू पॉलटिक्स का दौर

– राकेश अचल


कलियुग में सब कुछ बदल रहा है, सियासत भी। अब सियासत में बांकी तमाम मुद्दे पीछे चले गए हैं और अब ‘लड्डू पॉलटिक्स’ शुरू हो गई है। ये पॉलटिक्स तिरूपति में प्रसादम के लिए बनने वाले लड्डुओं में घी के नाम पर चर्बी के इस्तेमाल को लेकर शुरू हुई है। इस मामले में सूप तो सूप, छलनियां भी बोलने लगी हैं, जिसमें सैकडों छेद होते हैं। लड्डू पॉलटिक्स में अब टीडीपी वायएसआर पार्टी ही नहीं, बल्कि भाजपा और कांग्रेस भी कूद पडी है। दरअसल देश में नेताओं को जब राजनीति के लिए कुछ नहीं मिलता तो वे लड्डुओं तक का इस्तेमाल करने लगते हैं और इस तरह की पॉलटिक्स की शिक्षा भाजपा ने अपने सहयोगी दलों को भी देना शुरू कर दी है। प्रसादम के लड्डुओं में चर्बी के इस्तेमाल का मुद्दा भाजपा की सहयोगी टीडीपी ने उठाया। टीडीपी की सरकार ने ही लड्डुओं की जांच एक गुजराती प्रयोगशाला में कराई, जबकि देश की सबसे बडी प्रयोगशाला हैदराबाद में मौजूद थी।
लड्डू पॉलटिक्स के मामले में फांसी और सीबीआई जांच तक की मांग हो गई है। दरअसल, आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू के पिछली जगनमोहन रेड्डी सरकार पर मन्दिर में प्रसाद में घी की जगह मछली का तेल और जानवरों की चर्बी मिलाई जाने के आरोपों के बाद से विवाद जारी है। वाईएसआर कांग्रेस के अध्यक्ष और आंध्र के पूर्व सीएम जगन मोहन रेड्डी ने नायडू पर पलटवार करते हुए कहा है कि अपनी सरकार के 100 दिन की नाकामी छुपाने के लिए चंद्रबाबू नायडू भगवान के नाम पर राजनीति कर रहे हैं। क्योंकि, उनके सभी आरोप निराधार हैं। अब इस मामले में देश भर के संतों में भी नाराजगी देखी जा रही है। संत कह रहे हैं कि आस्था से खिलवाड बर्दाश्त नहीं कर सकते।
आप भी जानते हैं और हम भी कि इस देश में जब इन्दिरा गांधी और राजीव गांधी के हत्यारों को फांसी नहीं हो पाती तो लड्डुओं में चर्बी और मछली का तेल मिलाने वालों को क्या खाक फांसी होगी? हां ये तय है कि इस मुद्दे पर अब पॉलटिक्स होगी, क्योंकि टीटीडी यानि तिरूपति देवस्थानम के पास अकूत संपत्ति है। आंध्रप्रदेश की हर सत्ता इस संपत्ति का उपभोग करना चाहती है। लड्डू तो एक बहाना भर है।
आंध्र प्रदेश में सत्ता बदलते ही 12 जून को ही तिरूपति मन्दिर के प्रसाद में इस्तेमाल होने वाले घी की जांच के नमूने लिए गए थे। जांच रिपोर्ट 23 जून तक तैयार हो गई, लेकिन खुलासा सितंबर में हुआ जब नायडू सरकार के 100 दिन पूरे हुए। जो रिपोर्ट सामने आई उसमें लड्डू बनाने वाले घी में जो चीजें पाई गई थीं, वो बताती थी कि इसमें गाय के शुद्ध घी की जगह अन्य तिलहन और वस्पतियों के अलावा मछली के तेल और अन्य जानवरों की चर्बी हो सकती है। ये जांच नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड यानी एनडीडीबी के सेंटर फॉर एनालिसिस एण्ड लर्निंग इन लाइव स्टॉक एण्ड फूड यानी सीएएलएफ लैब में कराई गई थी।
इस सबको जाने दीजिए, क्योंकि लड्डू तो एक बहाना है, लेकिन असल बात ये है कि देश के राजनैतिक दलों के पास जितना पैसा था, और है तथा आगे होगा उससे कई गुना पैसा तिरूपति के बालाजी भगवान के पास है। तिरूपति के बालाजी भगवान ने ये पैसा किसी इलेक्टोरल बॉण्ड के जरिए नहीं कमाया, बल्कि ये अकूत दौलत देश के अमीर-गरीब भक्तों ने उन्हें स्वेच्छा से भेंट की है। साल 2023 में 773 करोड की कीमत का एक हजार 31 किलो सोना भगवान वेंकटेश को चढाया गया। इतना ही नहीं, बालाजी मन्दिर का बैंकों में 11 हजार 329 किलो सोना जमा है। मन्दिर के नाम से 13 हजार 287 करोड रुपए फिक्स डिपॉजिट किया गया है। अप्रैल 2024 तक 18 हजार 817 करोड रुपए मन्दिर के नाम से बैंक में जमा हो चुका है। टीटीडी ट्रस्ट बोर्ड ने 2024-2025 के लिए कुल पांच हजार 141.74 करोड रुपए के बजट को मंजूरी दी है। ये पहली बार है जब मन्दिर का वार्षिक बजट पांच हजार करोड रुपए के आंकडे को पार कर गया है।
लड्डू पॉलटिक्स के जरिए जहां टीडीपी अपने राजनितिक प्रतिद्वंदियों को निपटना चाहती है वहीं भाजपा इनके जरिए अपने राजनैतिक प्रतिद्वंदियों से हिसाब बराबर करना चाहती है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने आंध्र के सीएम चंद्रबाबू नायडू से फोन पर बात की और प्रसाद की रिपोर्ट मांगी है। साथ ही जेपी नड्डा ने जांच के बाद कार्रवाई का भरोसा दिलाया है। सवाल ये है कि क्या इस मामले में केन्द्र सरकार को हस्तक्षेप का अधिकार है? हर मामले में बिना बोले न रहने वाले केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने तो दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग कर दी है। वहीं, कांग्रेस ने सीएम नायडू पर सवाल खडे किए हैं कि तीन महीने तक सीएम ने खुलासा क्यों नहीं किया। अब कांग्रेस ने सीबीआई जांच की मांग की है।
गुजरात की अमूल कंपनी ने इस मामले में अपना नाम आते ही सफाई दी है कि अमूल ने कभी भी टीटीडी को घी की आपूर्ति नहीं की। यानि चोर की दाढी में तिनका। लड्डू पॉलटिक्स में अभी तक प्रधानमंत्री नहीं बोले है। वे इस समय चुनावी रैलियों में व्यस्त हैं, वैसे भी वे इस तरह के पचडों से दूर रहते हैं, पास तभी आते हैं जब उन्हें या उनकी सरकार और पार्टी को ऐसे मामलों से कोई लाभ हो। लेकिन लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी ने तिरूपति के लड्डू से जुडे मामले पर चिंता जताई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि पूरे देश में प्रशासन को धार्मिक स्थलों की पवित्रता की रक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा, ‘तिरुपति के श्री वेंकटेश्वर मन्दिर में प्रसाद के अपवित्र होने की खबरें परेशान करने वाली हैं। भगवान बालाजी भारत और दुनियाभर में लाखों श्रद्धालुओं के लिए पूजनीय देवता हैं। यह मुद्दा हर श्रद्धालु को आहत करेगा और इस पर गहराई से विचार करने की जरूरत है।’
चूंकि भाजपा की नजर में राहुल गांधी देश के नंबर एक आतंकवादी हैं, इसलिए उनकी बात सुनेगा कौन? सवाल ये है कि इस लड्डू पॉलटिक्स का अंत क्या होगा? क्या जगनमोहन रेड्डी जेल जाएंगे? क्या आईएनडीआईए पर इन लड्डुओं के बहाने देश में हो रहे विधानसभा चुनावों में हमले किए जाएंगे? या सचमुच देश की जनता की आस्थाओं और जन स्वास्थ्य के प्रति खिलवाड को रोकने के लिए राजनीति से ऊपर उठकर कोई कार्रवाई की जाएगी? मुमकिन है कि मामले का लाभ लेने के लिए राज्य सरकार इस मामले की सीबीआई जांच के लिए अपनी सहयोगी केन्द्र सरकार को खत लिख दे। मुमकिन है कि केन्द्र सरकार इस जांच की आड में कांग्रेस और उसके सहयोगी जगन मोहन रेड्डी को जेल भेजने की तैयारी करे, लेकिन कोई भी इस बात की गारंटी नहीं दे सकता कि भविष्य में प्रसादम के लड्डूओं में किसी चर्बी या मछली के तेल युक्त देशी घी का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।
टीटीडी के पास इतनी दौलत है कि वो चाहे तो अपने यहां आपूर्ति किए जाने वाले घी, बेसन, मेवों की जांच के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर की लैब स्थापित कर ले, लेकिन वो भी ऐसा शायद ही करे, क्योंकि उसने भी सब कुछ भगवान वेंकटेश के भरोसे छोड दिया है। होगा वही जो पॉलटिक्स तय करेगी। भगवान और भक्त इसमें कुछ नहीं कर सकते। क्योंकि राहुल गांधी के खिलाफ दिल्ली, भोपाल और बनारस में मुकद्दमा दर्ज करना जितना आसान है, उतना प्रसादम में चर्बी युक्त घी सप्लाई करने वालों के खिलाफ मुकद्दमा दर्ज करना कठिन है।