झाबुआ, 09 अक्टूबर। अपर सत्र न्यायाधीश पेटलावद, जिला झाबुआ श्री जेसी राठौर के न्यायालय ने लूट-डकैती एवं हत्या कारित करने वाले आरोपी नाथु पुत्र खुमसिंह निवासी ग्राम ठिकरिया, जिला झाबुआ को दोषी पाते हुए धारा 302 भादंवि में आजीवन सश्रम कारावास और धारा 397 भादंवि में सात वर्ष के सश्रम कारावास तथा अर्थदण्ड से दण्डित किया है। शासन की ओर से प्रकरण का संचालन अतिरिक्ता जिला लोक अभियोजन अधिकारी पेटलावद श्रीमती मनिषा मुवेल एवं सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी पेटलावद प्यारेलाल चौहान ने किया।
जिला मीडिया प्रभारी/एडीपीओ झाबुआ सुश्री सूरज वैरागी ने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि 10 अप्रैल 2019 को फरियादी दिनेश ने पुलिस थाना पेटलावद में उपस्थित होकर रिपोर्ट दर्ज करवाई कि नौ अप्रैल 2019 की रात 11:30 बजे उसके मामा के लड़के विनोद ने उसको फोन पर बताया कि श्याम भाई की पत्नी ने फोन करके बताया कि तुम्हारे भय्या अभी तक घर नही आए और मोबाइल भी नहीं उठा रहे हैं। तब फरियादी एवं विनोद दोनों श्याम की तलाश करते हुए सरकारी कॉलेज के पीछे उसके खेत में गए और देखा की श्याम पलंग पर चित्त अवस्था में पड़ा था एवं उसके पास कुछ आपत्तिजनक चीजें पड़ी थीं और पास में उसकी कार खड़ी थी। श्याम के सिर से खून निकल रहा था एवं जमीन पर भी खून पड़ा था। किसी अज्ञात व्यक्ति ने श्याम के सिर पर किसी भारी वस्तु से चोट पहुंचाकर हत्या कर दी एवं मृतक श्याम की गले में पहनी हुई सोने की चेन एवं उसके मोबाइल भी नहीं मिले थे। फरियादी की रिपोर्ट पर थाना पेटलावद पुलिस ने अपराध धारा 302 भादंवि में पंजीबद कर विवेचना शुरू की। इस दौरान पुलिस को जानकारी मिली कि श्याम के खेत पर काम करने वाले नौकर नाथु चारेल से कुछ दिन पहले रुपए की बात को लेकर नाथु एवं श्याम के बीच में झगड़ा हुआ था। आरोपी नाथु पुत्र खुमसिंह निवासी ग्राम ठिकरिया, जिला झाबुआ को गिरफ्तार किया गया और पूछताछ करने पर उसने बताया कि श्याम की हत्या उसी ने की थी। विवेचना के दौरान नाथु के विरुद्ध सबूत भी प्राप्त हुए थे। आरोपी को न्यायालय में पेश किया गया था। प्रकरण गंभीर प्रकृति को होने से जघन्य एवं सनसनीखेज चिन्हित घोषित कर अनुसंधानपूर्ण कर अभियोग पत्र धारा 302, 397 भादवि के तहत न्यायालय में प्रस्तुुत किया गया। विचारण के दौरान अपर सत्र न्यायाधीश पेटलावद श्री जेसी राठौर के न्यायालय ने आरोपी नाथु को दोषी पाते हुए धारा 302 भादंवि में आजीवन कारावास और धारा 397 भादंवि में सात वर्ष का सश्रम कारावास एवं अर्थदण्ड से दण्डित किया है।