वतन से प्यार है जिनको उन्हें कविता सुनाती हूं : कविता तिवारी

लहार में आयोजित भागवत कथा के दौरान हुआ कवि सम्मेलन

भिण्ड, 13 अप्रैल। जिले के लहार में चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन देर रात अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें देश के अलग-अलग शहरों से आए कवियों ने ऐसा समा बांधा कि देर रात तक लोग कविताओं का आनंद लेने के लिए कवि सम्मेलन में डटे रहे।
कवि सम्मेलन के दौरान सर्वप्रथम गोरखपुर से आए कवि दिनेश बावरा ने ‘मोबाइल ने कमाल कर दिया है, हमारा बुरा हाल कर दिया है’ कविता के माध्यम से मोबाइल की विसंगतियों पर व्यंगात्मक रचना सुनाई। तत्पश्चात उन्होंने जंगल में रहो या बस्ती में रहो, तूफां में रहो या कश्ती मे रहो, महंगी में रहो या सस्ती में रहो, लेकिन मेरे यार मस्ती में रहो सुनाई। इसके बाद उन्होंने कथावाचक चिन्मयानंद बापू की पुत्री मीमांसा के अनुरोध पर अपनी सुप्रसिद्ध देशभक्ति से ओतप्रोत कविता कि ‘जब कविता का ये रंग 18 साल के नौजवान के सिर चढक़र बोला तो भगत सिंह ने गली-गली में गाया मेरा रंग दे बसंती चोला’ सुनाई, जिसे सुनकर श्रोता वाह-वाह कर उठे। इसके बाद अनेक व्यंगात्मक रचनाएं और सुनाने के बाद अंत में देशभक्ति से ओत-प्रोत कविता सुनाई, जिसे सुनकर पूरा पण्डाल तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंज उठा।
इसके बाद मधुबनी बिहार से आए कवि शंभू शिखर ने ‘मेरा फोटो डिजिटल कैमरे से भी निगेटिव ही आता है’ से अपना परिचय देते हुए अपनी रचनाओं की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नोटबंदी पर जमकर व्यंगय सुनाए। शंभू शिखर ने कहा कि बिहार में शराब और भगवान दोनों एक जैसे हैं उपलब्ध हर जगह हैं मगर मिलते नहीं है। देश में सबसे ईमानदार नेता हमारे बिहार के ही हैं, उदाहरण के लिए देख लीजिए लालू प्रसाद यादव ने जिस जेल का उद्घाटन किया खुद उसी में बंद रहे। इसके अलावा शंभू शिखर ने ब्यूटी पॉर्लर, बिहारी एवं अपनी अनेक हास्य रचनाओं को सुनाकर श्रोताओं को जमकर गुदगुदाया।

कवि सम्मेलन के अंत में लखनऊ से आईं वीर रस की कवियित्री कविता तिवारी ने जब अपनी रचना ‘बदलकर आंसुओं की धार को मैं मुस्कुराती हूं, जगाकर ओज की धारा बहुत सुख-चैन पाती हूं, न मेरे शब्द हैं उनके लिए जो देशद्रोही हैं, वतन से प्यार है जिनको उन्हें कविता सुनाती हूं’ से शुरुआत की तो पूरा पण्डाल तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंज उठा। इसके बाद कविता तिवारी द्वारा 1857 की क्रांति और वीरांगना लक्ष्मीबाई के ऊपर भी देशभक्ति से ओत-प्रोत अनेक रचनाएं प्रस्तुत कीं, जिन्हें सुनकर श्रोताओं का रोम-रोम रोमांचित हो उठा। कविता तिवारी ने काव्य पाठ के माध्यम से कहा कि अगर 1857 की क्रांति में ग्वालियर के सिंधिया ने लक्ष्मीबाई का थोड़ा भी साथ दे दिया होता तो हम लोग इतने वर्षों तक अंग्रेजों के गुलाम न रहते।
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन भाजपा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य अम्बरीश शर्मा (गुड्डू) द्वारा करवाया गया था। जिसमें हजारों की संख्या में श्रोतागण पहुंचे।