रामचरितमानस को जलाने वालो पर एफआईआर क्यों नहीं : शंकराचार्य

खनेता में सनातन धर्म के महासमागम का तीसरा दिन

भिण्ड, 01 फरवरी। रघुनाथजी का मन्दिर खनेताधाम पर साकेतवासी विजयराम दासजी महाराज की 25वी पुण्यतिथि पर आयोजित सनातन धर्म के महासमागम पर जगद्गुरु शंकराचार्य ओकरानंद सरस्वती ने कहा कि रामचरितमानस को जलाने वालों पर आज तक एफआईआर क्यों नहीं हुई, अगर यही कृत्य कुरान के साथ होता तो सिर कलम कर दिया जाता। कहां गए वो राजनैतिक दल जो कहते थे कि हम आपके हैं। वो हमारे हैं, न हमारे बाप के हैं, हिन्दू धर्म का तिरस्कार करने वालों पर कार्रवार्द क्यों नहीं की गई। अगर सनातन धर्म की पवित्रता को नहीं बचा पाए तो हम पर धिक्कार है। हमें जागना पड़ेगा, हमें विरोध करना पड़ेगा।


उन्होंने महामण्डलेश्वर श्री रामभूषण दासजी महाराज की प्रशंसा करते हुए कहा कि एक तरफ सनातन धर्म पर चारों ओर से प्रहार किए जा रहे हैं, वहीं खनेताधाम में सनातन धर्म का समागम कार्यक्रम किया। संत समाज को एकत्रित करना भी बड़ा कठिन कार्य है। उन्होंने कहा कि तीर्थराज में भी संगम नहीं हो पाता है, संत तभी जीवन में आता है जब आपकी तपस्या सफल हुई हो। ईश्वर को प्राप्त करने के लिए प्रेम का होना आवश्यक है।
सनातन धर्म एवं आस्था का महाकुंभ खनेता धाम
वैसे तो गोहद क्षेत्र नाम के अनुरूप द्वापर युग में भगवान कृष्ण की गांव चारण लीला स्थली रहा है, इसीलिए संत, महंत, विद्वानों द्वारा इससे गोहद नाम दिया गया है। यह नाम मर्यादा के पूर्णतया अनुरूप है, यहां पर धर्म एवं आस्था का अनुव्रत संगम बना रहता है। महाराणा भीमसिंह की नगरी के रूप में प्रसिद्ध यह क्षेत्र जाट राजाओं की कर्म एवं धर्म स्थली भी रहा है, दूसरी ओर 84 क्षेत्र जो 84 के एक भाग के रूप में धर्म एवं आस्था का केन्द्र है। यह सनातन धर्म की आस्था एवं परंपरा का अद्भुत केन्द्र है। आज महाराज विजयराम दासजी की तपस्या हो फलित रही है, हम जिस खनेता धाम के अद्भुत धर्म एवं समागम केन्द्र की चर्चा करने जा रहे हैं, वह परम पूज्य संत विजयराम दासजी महाराज की अद्भुत तपस्या का केन्द्र है। जहां उन्होंने अपनी तपस्या के द्वारा न केवल खनेता गांव क्षेत्र को विश्व की आस्था का केन्द्र बना दिया है। यहां पर विभिन्न पीठ के शंकराचार्य समय-समय पर पधार कर जनमानस को अपनी ओजस्वी और धर्म संभूत वाणी से कृत-कृत्य कर चुके हैं।
सनातन धर्म एवं आस्था का महासंगम खनेता धाम के महंत महामण्डलेश्वर श्रीश्री 1008 रामभूषण दासजी महाराज के सानिध्य व संरक्षण में आयोजित होने वाला यह भव्य धर्म समागम पूज्य महाराज श्री विजयराम दासजी की 25वी जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित किया जा रहा है। ग्वालियर-इटावा रोड मुख्य मार्ग से पश्चिम की ओर पांच किमी अंदर खनेता धाम स्थित है, यहां से एण्डोरी होते हुए मुरैना और अन्य स्थानों पर जाया जा सकता है। आस्था एवं तपस्या का अद्भुत है संगम खनेता धाम में आयोजित सनातन धर्म महासमागम वास्तव में एक महाकुंभ कहा जा सकता है, जो न केवल क्षेत्रवासियों भिण्ड जिले अपितु संपूर्ण मप्र और देशभर के लिए इसलिए आस्था का केन्द्र है। क्योंकि यहां पर समस्त पीठों के पीठाधीश्वर एवं विभिन्न आचार्य परंपरा के समस्त संत पधारने जा रहे हैं। चारों शंकराचार्य की उपस्थिति आस्था एवं आकर्षण का केन्द्र कहा जाता है कि सनातन परंपरा के चारों शंकराचार्य का समागम कुम्भ परंपरा में ही होता है, लेकिन भाग्योदय होता है तो शंकराचार्य एकत्र आते हैं और धर्म लाभ प्रदान करते हैं। इस दृष्टि से भी खनेता धाम में आयोजित यह धर्म समागम संपूर्ण क्षेत्र वासियों के लिए भाग्योदय का केन्द्र है।
पधारेंगे चार शंकराचार्य
रामानंदाचार्य विभिन्न पुरी के पीठाधीश्वर भारत की सनातन परंपरा में शंकराचार्य परंपरा के चारों पीठ के अलावा रामानंदाचार्य परंपरा एवं अन्य अखाड़ा परंपरा के संतजन, विद्वान आते हैं। जो देश को धर्म एवं संस्कृति संबंधी मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। भिण्ड जिले के गोहद तहसील के अंतर्गत खनेता धाम में समस्त संत परंपराओं के पीठाधीश्वरों का आगमन निश्चित ही कल्याण का मार्ग प्रशस्त करेगा। धर्म अनुरूप परंपराओं का अद्भुत केन्द्र गोहद खनेता धाम का यह धर्म समागम आस्था एवं संस्कृति के गौरव का केन्द्र बन रहा है। यहां पर एक ओर शतचंडी महायज्ञ की दिव्य बेदी बनी हुई है, यहां पर सैकड़ों श्रृद्धालु संपूर्ण समर्पण के साथ आहुति देकर मां शतचण्डी का आह्वान कर लोक कल्याण की कामना कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर सनातन संस्कृति के वाहक विद्वानों द्वारा 108 भागवत का मूल पाठ कर कल्याण की कामना की जा रही है। इतना ही नहीं प्रात:काल की बेला में यज्ञ संपन्न होने के तुरंत बाद श्रेष्ठ आचार्य जनों के मार्गदर्शन में भागवत कथा का प्रण किया जा रहा है। जिसके लिए प्रतिदिन 40 से 50 हजार लोग कथा श्रवण कर रहे हैं। संपूर्ण देश से पधारे विद्वान एवं शंकराचार्य रामानंद परंपरा के संत और विद्वान प्रवचन के माध्यम से राष्ट्र उत्थान एवं जन कल्याण का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। धाम में देश के दिव्य तीर्थ स्थलों से विभिन्न धामों से पधारे हुए संत जन विद्वान राष्ट्रोत्थान संस्कृति उत्थान संस्कार संस्कृति एवं जन कल्याण के साथ-साथ विश्व कल्याण की कामना का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं।
विभिन्न संस्कृतियों का केन्द्र बन गया है खनेता धाम
खनेता गांव पूज्य श्री विजयराम दासजी महाराज की तपस्या और चेतना का केन्द्र आज विश्व की आस्था का केन्द्र बनने जा रहा है। श्रीश्री 1008 महामण्डलेश्वर श्री रामभूषण दास महाराज और क्षेत्र वासियों द्वारा बनाई गई व्यवस्था वास्तव में आस्था एवं आकर्षण का केन्द्र है। जहां एक और यज्ञ वेदी में शतचण्डी महायज्ञ मन मस्तिष्क को झंकृत कर देता है, वहीं दूसरी ओर विभिन्न संस्कृतियों परिधानों से परिपूर्ण माता-बहनें और बंधु एक महाकुंभ का प्रादुर्भाव सा प्रकट करते हैं।
राजा दशरथ के नाम से भोजन कक्ष
खनेताधाम में आयोजित सनातन धर्म सम्मेलन में श्रृद्धालुओं के भोजन की बेहतर व्यवस्था की गई है, भोजन परोसने के लिए एण्डोरी, मालनपुर के अंतर्गत आने वाले गावों के लोगों को जिम्मेदारी दी गई है। यहां भोजन करने के लिए सात कक्ष बनाए गए हैं। प्रत्येक कक्ष में दो हजार लोग भोजन कर सकते हैं। यानी 14 हजार लोग एक साथ बैठकर भोजन कर रहे हैं। भोजन बनाने के कार्य में 500 हलवाई कार्य कर रहे हैं, वहीं कौशल्या, केकई, सुमित्रा, सीता, मांडवी, उर्मिला के नाम से कक्ष बनाए गए हैं।
भण्डारे की व्यवस्था है अपने आप में अद्भतसहज स्वभाव वाले संत रामभूषण दासजी महाराज के संरक्षण एवं मार्गदर्शन में महाकुंभ जन सामान्य ही नहीं, शासन-प्रशासन और संगठनों के लिए प्रशिक्षण का केन्द्र कहा जा सकता है। जहां पर सात सेक्टरों में भोजन भण्डारे की व्यवस्था की जाती है। 50 से 60 हजार लोग मात्र तीन पदों में भोजन करके अपने गंतव्य की ओर चले जाते हैं। बाद में आता है व्यवस्था और प्रशिक्षण का कार्य शाम सात प्रथम बैठक और रात्रि 10 बजे अंतिम शीर्ष बैठक का आयोजन सहज भाव से व्यवस्थाओं को श्रेष्ठ शुरू प्रदान करता है। कितने भव्य आयोजन और विशाल भण्डारे की व्यवस्था के बाद भी सनातन परंपरा के संवाहक महामण्डलेश श्री रामभूषण दासजी महाराज जन सामान्य से सहज भाव में बैठकर चर्चा करते हुए दिखाई देते हैं। मंच पर बैठने के समय के छोड़कर पूज्य महाराज सहज भाव से जनसामान्य के मध्य चर्चा करते हुए दिखाई दे जाते हैं। जो उनके मस्तिष्क की दिव्यता और ईश्वरीय शक्तिपात को प्रकट करता है।
यह सनातन धर्म समागम गोहद क्षेत्रवासियों के लिए तो कल्याण का मार्ग प्रशस्त करेगा ही, भिण्ड, मप्र ही नहीं संपूर्ण भारत देश के लिए आस्था का संदेश प्रदान करेगा। आइए हम सब पीपीलिका की भांति इस धर्म संगम में सहयोग और समर्पण कर न केवल अपने कल्याण का मार्ग प्रशस्त करें, अपितु राष्ट्र कल्याण में एक आहुति देकर अपने आपको कृतार्थ करें।