रायसेन, 09 नवम्बर। अपर सत्र न्यायाधीश तहसील गौहरगंज, जिला रायसेन के न्यायालय ने नाबालिग बालिका को भगाकर ले जाने व दुष्कर्म करने आरोपी शिवचरण उर्फ पप्पू निवासी ग्राम सेमरी, थाना सुल्तानपुर, जिला रायसेन को दोषी पाते हुए धारा 376(2)एन भादंवि में 10 वर्ष का कठोर कारावास तथा छह हजार रुपए अर्थदण्ड एवं धारा 363 एवं 366 भादंवि में क्रमश: तीन वर्ष एवं पांच माह के कठोर कारावास से दण्डित किया है। प्रकरण में मप्र राज्य की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक गौहरगंज अनिल कुमार तिवारी ने की।
अभियोजन मीडिया प्रभारी जिला रायसेन श्रीमती शारदा शाक्य के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि छह अक्टूबर 2018 को थाना सुल्तानपुर में फरियादी पिता ने अपनी अवयस्क पुत्री अभियोक्त्री के गुम हो जाने पर इस आशय की सूचना दी कि चार अक्टूबर 2018 गुरुवार को रात्रि करीब 10 बजे तक वह परिवार सहित खाना खाकर सो गया था, रात्रि में करीब 12 बजे उसकी नींद खुली तो उसने देखा कि उसकी बड़ी लड़की अपने बिस्तर पर नहीं थी, उसने अपनी पत्नी व परिवार वालों को उठाकर बताया कि लड़की अभियोक्त्री नहीं दिख रही है, उसने व उसके परिवार वालों ने आस-पास गांव में व रिश्तेदारों में तलाश व पता किया, जिसका कोई पता नहीं चला, एक लड़का पप्पू उर्फ शिवचरण भी उसी दिन से उसके घर पर नहीं है, उसे अभियोक्त्री को पप्पू उर्फ शिवचरण पर बहला फुसलाकर भगा ले जाने की शंका है। अभियोक्त्री के पिता की उक्त सूचना पर थाना सुल्तानपुर में गुम इंसान सूचना लेख की गई एवं अपराध धारा 363 भादंसं की परिधि में आने से अपराध क्र.251/2018 पर प्रथम सूचना रिपोर्ट लेख की गई। अनुसंधान के दौरान 28 सितंबर 2019 को अभियोक्त्री, अभियुक्त के साथ थाना सुल्तानपुर पर उपस्थित हुई। अभियोक्त्री ने पूछताछ में बताया कि वह शिवचरण उर्फ पप्पू को करीब चार-पांच साल से जानती है। शिवचरण उसे पसंद करता था और कहता था कि वह उससे प्यार करता है, तो वह भी उसे प्यार करने लगी। शिवचरण ने कहता था कि वह उससे शादी करना चाहता है। तीन सितंबर 2018 को दिन उसकी शिवचरण से बात हुई, उसने बोला घर वाले उसे परेशान करते हैं और उसकी शादी किसी और से करना चाहते हैं, शिवचरण ने उससे कहा कि चलो शादी कर लेते हैं। फिर रात करीब 12-01 बजे वह घर से बाहर सड़क पर आई, जहां उसे शिवचरण मिला और फिर वह उसके साथ भोपाल में रही, जहां उसने मन्दिर में शादी की और उसे अपनी पत्नी बनाकर रखा। अनुसंधान पूर्ण कर पुलिस ने अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया। न्यायालय में सुनवाई के दौरान गवाहों के बयान, वैज्ञानिक चिकित्सीय साक्ष्य से अभियुक्त को संदेह से परे मामला प्रमाणित पाते हुए सभी आरोपों में सिद्ध दोष पाया गया। शासन की ओर से विशेष लोक अभियोजक ने पक्ष रखते हुए मामले को संदेह से परे प्रमाणित कराया। फलस्वरूप न्यायालय ने आरोपी को उपरोक्त धाराओं में दोषी पाते हुए दण्डित किए जाने का आदेश सुनाया है।