भारतीय शिक्षा का दर्शन लाई विद्या भारती : चौरसिया

सरस्वती शिशु मन्दिर पचोर में एनईपी-20 पर आधारित शिक्षक प्रशिक्षण आयोजित

पचोर (राजगढ़), 17 मई। विद्या भारती मध्य भारत प्रांत द्वारा मार्गदर्शित ग्राम भारती शिक्षा समिति मध्य भारत प्रांत भोपाल द्वारा आयोजित (आवासीय) प्रांतीय आचार्य सामान्य शिक्षण वर्ग सरस्वती शिशु मन्दिर पचोर जिला राजगढ़ में आयोजित किया गया है।
वर्ग महाप्रबंधक मुरली मनोहर शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आधारित शिक्षक प्रशिक्षण वर्ग में शामिल आचार्य-दीदियों को संबोधित करते हुए क्षेत्रीय प्रशिक्षण प्रमुख देवकीनंदन चौरसिया ने कहा कि विद्या भारती द्वारा संपूर्ण भारत में चलने वाले संस्कार युक्त शिक्षा देने वाले सरस्वती शिशु मन्दिर विद्यालयों में भारतीय शिक्षा दर्शन की शिक्षा दी जाती है। भारतीय शिक्षा दर्शन मानता है- सर्वे भवंतु सुखिन: एवं वसुधैव कुटुंबकम्। अर्थात सभी सुखी और स्वस्थ रहें। सभी का कल्याण हो। पूरा विश्व एक परिवार है। एसी दृष्टि और कामना हम विश्व के किसी भी देश से नहीं कर सकते हैं,यह भारतीय शिक्षा दर्शन है। भारत में जीवन जीने की दृष्टि- ईश्वर अंश जीव अविनाशी… हमारे यहां पेड़, पहाड़, नदियां, गाय, गीता, कन्या पूजन आदि।ए भारतीय शिक्षा दर्शन है। हमारे शास्त्रों में चार पुरुषार्थ बताए गए हैं- धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष। हम शुभ के बाद लाभ की प्राप्ति चाहते हैं, इसलिए शुभ लाभ लिखते हैं। उन्होंने बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान (एफएलएन) के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बदलाव किया गया है। जिसके द्वारा सीखें और सिखाएं, समझें और समझाएं पर जोर दिया गया है। पहले रटने पर बल दिया जाता था पर अब शिक्षा प्रणाली में सुधार हुआ है। हमारे देश में विविध भाषाओं, बोलियों रहने, खाने की पद्धति भिन्न-भिन्न हंै। चारधाम की यात्रा पर लोग जाते हैं तो देश के चारों कोनों की पहचान करने वहां की मातृभाषा जीवन जीने की शैली को सीखते समझते हैं। शिक्षा वही है जो कुरीतियों, अंधविश्वास, निरक्षरता, कुप्रथाओं से समाज को मुक्ति दिलाने में मदद करे। इस लिए कहा गया है कि- शिक्षा का उद्देश्य यही है, सा विद्या या विमुक्ततये।


इस अवसर पर प्रांत प्रमुख ओमप्रकाश जांगलवा, नारायण चौहान, शिवकुमार शर्मा पचोर, विष्णु आर्य, राजेन्द्र सिंह ठाकुर भोपाल, दुर्गेश सिंह बागड़ी, महेन्द्र सिंह चौहान, मुरली मनोहर शर्मा, देवीसिंह, हरिशंकर सेनी, होकम सिंह राजपूत, राजेश राजपूत, दिनेश गोस्वामी, ओमप्रकाश कुशवाह, रामबाबू, योगेन्द्र सिंह दांगी, जितेन्द्र गोस्वामी आदि पदाधिकारी, कार्यकर्ता एवं आचार्य-दीदी उपस्थित रहे।