थाटीपुर स्थित दिगंबर जैन मन्दिर में मुनिश्री ने दिए मंगल प्रवचन
ग्वालियर, 20 अप्रैल। अहंकार और लोभ को त्यागने के बाद ही जीवन में शांति संभव है। जब तक मनुष्य विषय वासनाओं और भौतिक सुखों के चक्कर में लगा रहेगा तब तक उसे वास्तविक सुख की प्राप्ति नहीं हो सकती। यह उद्गार मेडिटेशन गुरू मुनि श्री विहसंत सागर महाराज ने बुधवार को थाटीपुर स्थित दिगंबर जैन गुलाबचंद की बगीची में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। मंच पर मुनि श्री विश्वसूर्य सागर महाराज मौजूद थे।
मुनि श्री विहसंत सागर महाराज ने कहा कि मनुष्य की असली परेशानी यह है कि उसके अंदर संतुष्टि का भाव नहीं रह गया है और भागमभाग में वह तनाव और अवसाद से ग्रस्त होता जा रहा है। इसमें उसकी अपनी कमियां भी जिम्मेवार हैं। सामाजिकता का भाव उसमें रहा नहीं है, जिससे उसको परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और वह अपने खुद के बुने जाल में उलझता जा रहा है। उन्होंने कहा कि आप सभी ने सत्य बोलने के लिए तलाक ले लिया है। इसलिए कभी सत्य नहीं बोलते। सत्य बोलने वाले की कीर्ति दूर दूर तक होती है। मोबाइल ने आज झूठ बोलना सिखा दिया है।
जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि प्रवचनों से पहले मन्दिरं प्रबंध समिति के अध्यक्ष रविन्द्र सिंघई, सचिव नरेन्द्र जैन, सहसचिव रविन्द्र सिघई, कोषाध्यक्ष वज्रसेन जैन व जैन मिलन महिला की उर्मिल जैन, साधना जैन, रश्मि जैन, मधु जैन, सरोज जैन आदि ने मुनिश्री के चरणों में श्रीफल चढ़ाकर आशीर्वाद लिया।
माता-पिता को वर्ष में एक तीर्थ जरूर कराना, उससे ही तुम्हारा तीर्थ होगा
मुनि श्री विहसंत सागर महाराज ने बुजुर्गों को परिवार का मार्ग प्रशस्त करने की प्रेरणा देते हुए कहा कि आज बुजुर्ग क्यों दुखी हैं, वह इसलिए दुखी हैं कि वह सत्ता का सुख नहीं छोडऩा चाहता। उन्होंने कहा कि अगर 60 वर्ष के हो जाओ तो सत्ता का सुख छोड़ दो, बेटे-बहू को जो अच्छा लगता है करने दो, क्योंकि उनकी भी उम्र हो चुकी है। उन्होंने कहा कि सत्ता का सुख छोड़कर अपना जीवन गुरु सेवा, धर्म सेवा में लगा दो। इस दौरान बच्चों ने भजन भी पेश किए।
पैसे को हमेशा सही कार्य में खर्च करना चाहिए
मुनिश्री ने कहा कि धन कमाना जितना कठिन होता है उतना ही कठिन धन को सही तरह से व्यय करना भी होता है। पैसे को हमेशा सोच-समझकर सही कार्य में खर्च करना चाहिए। व्यक्ति को धन कमाने के साथ बचा कर भी रखना चाहिए। जो लोग सोच-समझकर पैसे को खर्च करते हैं उनके पास धन की कमी नहीं होती।