अभाविप की पुस्तक ‘ध्येय यात्रा’ के लिए एक लाख पाठकों ने कराए पंजीयन

भिण्ड, 12 अप्रैल। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) के संघर्ष इतिहास विकास पर आधारित पुस्तक ‘ध्येय यात्रा’ रिकार्ड तोडऩे जा रही है, इस पुस्तक के प्रकाशन से पहले ही एक लाख से अधिक पाठकों ने खरीदने के लिए अपना पंजीकरण करा चुके हैंं।
अभाविप के सक्रिय एवं दायित्वान छात्र नेता अमन भारद्वाज ने बताया अभाविप विश्व का सबसे बड़ा छात्र संगठन के साथ-साथ ज्ञान, शील, एकता का प्रतीक है। वर्तमान समय में विद्यार्थी परिषद ‘ध्येय यात्रा’ पुस्तक का अग्रिम पंजीकरण संपूर्ण राष्ट्र में किया जा रहा है, इस पुस्तक का लोकार्पण दिल्ली में 15 अप्रैल को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले करेंगे। इस पुस्तक में इस पुस्तक को दिल्ली का प्रभात प्रकाशन प्रकाशित कर रहा है, अब तक लाखों लोगों के बीच पुस्तक को पढऩे की जिज्ञासा हो रही है। इस पुस्तक को पढऩे के लिए देशभर के लोग उत्सुक हैं, इस पुस्तक का पंजीयन आम नागरिक के साथ साथ कार्यकर्ता हर वर्ग के लोग पंजीयन करा रहे हैं। जैसे सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार, राजनैतिक, फिल्मी जगत जैसे सामान्य नागरिक एवं प्रतिष्ठित नागरिक सभी इस पुस्तक को लेकर उत्सुक हैं।
छात्र नेता अमन भारद्वाज ने बताया कि इस पुस्तक के दो खण्ड हैं, पेपर बैंक एवं हार्डकवर पुस्तक के खण्ड एक में स्थापना की पृष्ठभूमि, वैचारिक अधिष्ठान, संगठन का स्वरूप और विकास क्रम, छात्र आंदोलन की रचनात्मक दिशा, शिक्षा, छात्र-हित, राष्ट्रहित में साहसिक प्रयास शामिल है। खण्ड दो में छात्र नेतृत्व एवं अभाविप वैश्विक पटल पर, ऐतिहासिक प्रस्ताव, राष्ट्रीय, सामाजिक एवं शैक्षिक मुद्दे, विविध आयाम, महत्व, प्रभाव और उपलब्धियां शामिल हैं। भारद्वाज ने कहा कि अभाविप के स्थापना काल से अब तक विद्यार्थी परिषद के छात्र हित, राष्ट्रहित, त्याग, समर्पण, बलिदान जैसे प्रमुख वाक्यांश का वर्णन रहेगा। यह पुस्तक 800 पृष्ठों में होगी। जियके पंजीकरण का अग्रिम शुल्क पेपर बेक 300 रुपए एवं हार्ड कवर 500 रुपए है, अभी ध्येय यात्रा अभियान जारी है। अभाविप के सात दशकों की यात्रा पर ‘ध्येय-यात्रा’ अभाविप की ऐतिहासिक जीवनगाथा पर किताब प्रकाशित होने जा रही है, विद्यार्थी परिषद के 75 वर्ष पूरा होने पर विद्यार्थी परिषद अपने स्थापना काल से अभी तक कौन-कौन सी गतिविधि चल रही है, सारी बातों का जिक्र रहेगा, किताब में यह भी उल्लेख रहेगा कि कैसे राष्ट्रीयता का भाव लेकर अग्रसर एबीवीपी रही है।