कोरोनाकाल में विद्या के मन्दिर सूने (बंद), कोचिंग के नाम पर गली मुहल्लों गावों में सजी दुकानें : अवधेश

विभाग द्वारा छात्रवृति के नाम पर निर्दोश स्कूल संचालकों को किया जा रहा मानसिक प्रताडि़त

भिण्ड, 08 जुलाई| प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ब्लॉक भिण्ड की बैठक गुरुवार को शहर के एक निजी स्कूल में संपन्न हुई। जिसमें विभिन्न विषयों पर स्कूल संचालकों ने चर्चा की। जिसमें प्रमुख रूप से जहां कोरोना की बजह से बच्चों के स्वास्थ को ध्यान में रखते हुए मप्र शासन द्वारा विद्यालय और समस्त कोचिंग संस्थान को बंद रखने के आदेश जारी किए हैं, वहीं भिण्ड जिले में न केवल शहरी क्षेत्रों में बल्कि संपूर्ण जिला में कोचिंग के नाम पर एक साथ सैकड़ो बच्चों को बुलाकर अध्यापन कार्य किया जा रहा है। इस कार्य में न केवल प्राइवेट शिक्षक बल्कि शासकीय शिक्षक भी पीछे नहीं है उनके द्वारा अपना-अपना ग्रुप बना कर स्कूल की तरह सभी विषयों का अध्यापन कार्य किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी कोचिंग संचालकों द्वारा न केवल छात्र-छात्रा का कक्षा एक से 12वी तक अध्यापन कार्य कराया जा रहा है, वल्कि स्कूल की तरह प्रवेश दिया जा रहा है। शहर में संचालकों द्वारा जब निगरानी तंत्र किया तो मालूम हुआ सुबह पांच बजे से 9-10 बजे तक कोचिंग संचालित हो रही है। नवोदय, सैनिक के नाम पर स्कूल संचालित हैं, जिनमें छोटे बच्चों को भी कुछ कोचिंग चलाने वाले बुला रहे हैं। लेकिन न तो जिला प्रशासन और न ही शिक्षा विभाग आज दिनाक तक इनके उपर कोई कार्रवाई की जा रही है, इससे ऐसा प्रतीत होता है कि इन्हें जिला प्रशासन की मौन समर्थन करता है। इसलिए प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन यह मांग करता है कि या तो शासन के आदेशनुसार इन कोचिंग संस्थान को बंद किया जाए। अन्यथा जिन नियमों के तहत कोचिंग संचालित हो रही हैं, उन्हीं नियमों के तहत हमारे स्कूल खोलने की अनुमत प्रदान की जाए।
मप्र शासन द्वारा वर्ष 2013-14 से 2020-21 तक की छात्रबृति जांच के आदेश दिए हैं, जिससे समस्त विद्यालय की जांच प्रस्तावित की गई है, जो की न्याय संगत नहीं है। स्कूल द्वारा बच्चों की मैपिंग और रजिस्ट्रेशन का कार्य चिन्हित कंप्यूटर सेंटर जिन के पास बीआरसी और संकुल का आईडी पासवर्ड रहता है उनके द्वारा कराया जाता है, बच्चों की समग्र आईडी पंचायत, नगर पालिका या नगर निगम द्वारा बनाई जाती है जिसमें जाति, आधार और बैंक डिटेल उन्हीं के द्वारा उपलोड की जाती है। उसमें किसी भी तरह के परिवर्तन का अधिकार स्कूल को नहीं होता है। छात्रवृति का स्वीकृत या अस्वीकृत करने का पूर्ण रूप से अधिकार संकुल का होता है। जिसमें बार-बार परिवर्तन जैसे खाता आदि का भी संकुल और बीआरसी के पासवर्ड से ही होता है, जिसकी कोई भी जानकारी संस्था को नहीं होती है। संकुल द्वारा उन कक्षा में भी छात्रवृत्ति दी गई है जिन कक्षा की विद्यालय को मान्यता ही नहीं थी, यह या तो संकुल केन्द्र द्वारा किया गया या साइवर एक्सपर्ट द्वारा प्रत्येक विद्यालय में अपने छात्र और अपना खाता डालकर राशि ट्रांसफर की गई। इसलिए हमारी मांग है कि जांच स्कूल की न की जाकर उन खाता धारकों की जाए जिनके खाते में राशि गई है और उन पासवर्ड की जाए जिनके द्वारा यह कार्य किया गया है। अगर इसमें कोई स्कूल संचालक दोषी पाया जाता है तो उस पर अवश्य कार्रवाई की जाए। बैठक में मुख्य रूप से प्रमोद शर्मा, राजपाल सिंह, चंद्रशेखर सिंह, अशोक शर्मा, कुलदीप सिंह एवं अन्य साथी संचालकगण उपस्थित रहे।