भिण्ड, 05 मार्च। प्रदेश सरकार के सहकारिता मंत्री डॉ. अरविन्द सिंह भदौरया ने अपने तीन दिनी प्रवास के दौरान अटेर क्षेत्र में तमाम सरकारी योजनाओं का शुभारंभ किया। इसी दौरान उनका एक बयान समाचार पत्रों में पढ़ा कि अटल प्रगति पथ क्षेत्र में विकास के नए द्वार खोलेगा। मंत्री के इस बयान पर अखिल भारतीय किसान सभा के जिला सचिव राजेश शर्मा ने कहा कि मंत्रीजी को यह नहीं मालूम कि उक्त अटल प्रगति पथ (अटल एक्सप्रेस-वे) की योजना मौजूदा स्वरूप में लागू की गईत तो चंबल के किनारे पीढिय़ों से बसे किसानों के लिए कितनी मुश्किलें खड़ी होने वाली हैं।
किसान नेता राजेश शर्मा ने कहा कि हम विकास के विरोधी नहीं है लेकिन विकास के नाम पर किसानों गरीबों पर जो मुश्किलें खड़ी की जाएंगी, उसके विरोधी हैं। सरकार यदि इस योजन ईमानदार है तो डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) को गोपनीय क्यों रखा गया है। तमाम राजनैतिक दलों एवं संगठनों को शासन प्रशासन ने डी पी आर देने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि दरअसल इटावा से कोटा तक चंबल के किनारे 404 किमी लंबा अटल प्रगति पथ बनाना और उसके दोनों साइड एक एक-एक किलो मीटर चौड़ा कोरीडोर बनाना तो ठीक है, लेकिन सरकार एवं उनकी पूंजीपति मित्रों की मंशा ठीक नहीं है। लगभग एक लाख हेक्टर बीहड़ की उपजाऊ जमीन जो सरकारी है, उसे पूंजीपतियों को सौंपने की तैयारी है।
जब सरकार किसानों के प्रति ईमानदार है, तो हाईवे के दोनों साइड कोरिडोर की जमीन उसी गांव के किसानों को आवंटित की जाए एवं खेती आधारित उद्योग लगाने में सरकार मदद करें। किसान नेता ने कहा कि पिछले दिनों मुरैना में आंदोलन के दवाब के चलते केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने हस्तक्षेप करके मप्र के मुख्यमंत्री से जमीन के बदले दोगुनी जमीन देने की घोषणा करवा ली है, तो मुख्यमंत्री बताएं कि जमीन के बदले जमीन कहां दी जाएगी, यदि किसान जमीन लेने को राजी है तो एक लाख रुपए प्रति बीघा जमीन को विकसित करने का मुआवजा सरकार देगी क्या? यदि किसान जमीन के बदले जमीन लेने को तैयार नहीं है, तो 2013 में बने भूमि अधिग्रहण कानून के तहत बाजार की दर से तीन से पांच गुना मुआवजा देने को क्या सरकार तैयार है।
किसान नेता ने कहा कि चंबल के किनारे के तीस हजार किसान कई वर्षों से बीहड़ की जमीन को समतल करके खेती कर अपने परिवार का जीवन यापन कर रहे हैं। उस जमीन का राजस्व दस्तावेज में कहीं अभिलेख नहीं है। लिहाजा वह जमीन भी किसानों की जमीन मानी जाए एवं खसरे में उनका कब्जा दर्ज करवा दिया जाए एवं मुआवजा दिया जाए, इस योजना में दस हजार किसानों की जमीन अधिग्रहित की जा रही है। किसान नेता ने कहा कि नए सिरे से गजट नोटिफिकेशन किया जाए। समुचित प्रचार-प्रसार किया जाए, प्रत्येक किसान को व्यक्तिगत नोटिस दिए जाएं एवं दावे आपत्तियों को सुनवाई की जाए। इसमें गोपनीयता नहीं पारदर्शिता होना चाहिए, पिछले 20 वर्षों से इस चंबल के बीहड़ की एक लाख हेक्टेयर भूमि हड़पने के लिए प्रयास होते रहे हैं, कभी घडिय़ाल अभ्यारण के नाम पर, कभी अमेरिका की मैक्सवर्थ कंपनी को लीज देने के नाम पर, पिछले वर्षों मुरैना के तेल व्यापारी को 50 हजार बीघा जमीन लीज पर दे दी थी, लेकिन किसानों के प्रतिरोध की वजह से सारी तिकड़में फेल हुईं। किसान नेता ने कहा कि पूरे 404 किमी के हाईवे में सिर्फ सात प्रवेश द्वार (कट) से साफ है, यह हाईवे किनके लिए बनाया जा रहा है। ईमानदारी से हर बड़े गांव के पास एक कट होना चाहिए, जिससे आम जनता भी इसका उपयोग कर सकें। किसान नेता ने सहकारिता मंत्री को सलाह दी है कि आप अटेर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, अटेर क्षेत्र के 28-30 गांव उजडऩे वाले हैं। मंत्रीजी आप चंबल की माटी में पैदा हुए हैं, आपको क्षेत्रीय जनता के हितों का ध्यान रखना चाहिए।