मुनि विराग सागर का मौ में हुआ ससंघ भव्य मंगल प्रवेश

भिण्ड, 26 फरवरी। भारत गौरव राष्ट्रसंत गणाचार्य श्री 108 विराग सागर महाराज का धर्म नगरी मौ में बड़ी धर्म प्रभावना के साथ भव्य मंगल प्रवेश हुआ। सभी नर-नारियों ने तीव्र महाभक्ति से घर-घर मे पाद प्रक्षालन एवं आरती उतारी। आचार्यश्री के आगमन में मौ नगरी दुल्हन की तरह सजाई गई थी।
गुरुदेव श्री 108 विराग सागर महाराज ने धर्मसभा को अध्यात्म वाणी से संबोधित करते हुए कहा कि इस जीव ने अनंतकाल से राग-द्वेष बंध लोग की कथाओं को सुना अनुभव नहीं किया। ध्यान रखना जब तक पुण्योदय जीव का नहीं तब तक इनका लाभ नही होता। वीतराग गुरु आते हैं तो सारी समाज एक साथ आकर बैठ जाती है। जैन तो दूर जैनेतर भी आकर धर्मसभा से जुड़ जाते हैं। कितनी बड़ी महिमा चमत्कार है। कितनी हर्ष खुशी की गंगा स्वत: ही प्रवाहित हो जाती है। ये है श्रृृद्धा संतों के प्रति। श्रृद्धा का सिद्धांत परिभाषा नहीं होती, जब भावो में निर्मलता आती है। संतजन व्यक्ति जैन, अजैन नही अंदर की भावनाओं को देखते है क्योंकि वे आत्म-धर्म भावनाओं से भरे रहते है, इसलिए उन्हें हर आत्मा में एकता दिखती है भेदभाव नहीं। आचार्यश्री के परम शिष्य ब्रह्मरूपी आरपी भैया जखारा जिला टीकमगढ़ से लगभग सौ से अधिक लोगों के साथ आचार्यश्री की आगवानी करने के लिए आए। मुनिश्री की आगवानी करने के लिए सकल जैन समाज एवं राष्ट्रीय विराग मंच के पदाधिकारी एवम कार्यकर्ता डांक बगला पहुंचे। यह जानकारी विराग मंच के प्रचार मंत्री चौधरी आगम जैन ने दी।