पीडि़त बच्चियों के परिजनों ने लगाया आरोप- अपहरणकर्ताओं को बचाना चाहती है उपनिरीक्षक
भिण्ड, 20 फरवरी। नाबालिग लड़कियों के अपहरण के मामले में रविवार को मेहगांव थाना पुलिस ने नाबालिग लड़कियों को बयान हेतु पुलिस थाने बुलाया, जिसके बाद पुलिस बच्चियों को अपनी गाड़ी में बिठाकर गोरमी थाने ले गई। वहां पहुंचकर नाबालिग लड़कियों को गोरमी थाने की उपनिरीक्षक वंदना ने बच्चियों को अलग पूछताछ के लिए ले गई। वहीं नाबालिग बच्चियों के माँ-बाप को थाने से बाहर कर दिया। जिसके बाद एस आई वंदना ने नाबालिग बच्चियों का दवाब देकर और डरा धमकाकर वीडियो बनाया और बयान लिए। जब बच्चियों ने एसआई वंदना को उनके मुताबिक बयान नहीं दिए तो नाबालिग बच्चियों को डरा धमकाकर अपने मन मुताबिक बयान देने की बात पर अड़ी रही। इस दौरान डराने धमकाने के समय में एसआई वीडियो बंद कर देती थी। जब बाहर आकर हमने माता-पिता को डरा धमकाकर बयान लेने की बात बताई तो उनके साथ मेहगांव एसडीओपी आरकेएस राठौड़ को डरा धमकाकर बयान लेने की शिकायत की।
बच्चियों को डरा-धमका कर क्यों ले रही पुलिस बयान
गोरमी थाने की एसआई वंदना के द्वारा इन नाबालिग बच्चियों से डरा धमकाकर और बिना माता-पिता के बयान लेना अनुचित और असंवैधानिक है। इससे प्रतीत होता है कि पुलिस की आरोपियों से मिलीभगत है, वहीं मेहगांव थाना प्रभारी द्वारा इन नाबालिग बच्चियों को मेहगांव से गोरमी थाना भेजना क्या सही है? इस नजरिए से मेहगांव पुलिस पर भी सवालिया निशान उठ रहे हैं। वहीं परिजनों का कहना है कि पुलिस पहले भी आरोपी लड़कों के खिलाफ एफआईआर नहीं लिख रही थी और आज बच्चियों को डराकर बयान दर्ज कराने से स्पष्ट हो रहा है कि पुलिस आरोपियों को बचाना चाह रही है।