भिण्ड, 02 जनवरी। नववर्ष की पूर्व संध्या पर हाउसिंग कॉलोनी में मप्र लेखक संघ, उजास प्रकाशन तथा सर्वे भवंतु सुखिन: युवा मण्डल के संयुक्त तत्वावधान में संगोष्ठी एवं काव्यपाठ आयोजन किया गया। जिसमें शिक्षक आचार्य गजेन्द्र सिंह कुशवाहा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता किशोरीलाल बादल तथा संयोजन आशुतोष शर्मा नंदू ने किया। विशिष्ट अतिथि एडवोकेट विकास सिंह राजावत एवं उजास के संस्थापक संपादक डॉ. सुनील त्रिपाठी निराला मुख्यवक्ता के रूप में उपस्थित थे।
डॉ. निराला ने कहा कि भिण्ड जिला शौर्य, साहस, पुरातात्विक संपदा ऐतिहासिक धरोहरों का प्रतिमान है। चंबल की वीरभूमि अनेक कार्यों में वंदनीय है। यहां के वीर सैनिक सीमा पर माइनस डिग्री तापमान में भी साहसपूर्वक मातृभूमि की रक्षा में खड़े रहते हैं। यह परशुराम की जन्म भूमि है। यहां पर जैन तीर्थंकर तीन स्थानों पर आए। पावई, बरासों और बरही। शौर्य एवं साहस ही भिण्ड की सच्ची पहचान है। इतिहास साक्षी है कि पौराणिक काल से लेकर के आज पर्यन्त भिण्ड की उर्वरा धरती ने अनेक महापुरुषों को जन्म दिया है तथा अन्य क्षेत्रों के महापुरुषों ने भिण्ड की धरती को आकर नमन किया है। त्रेतायुग में भिण्ड में जन्मे भिण्डी ऋषि (श्रृंगीऋषि के पिता), श्रृंगीऋषि अयोध्या में रामजन्म हेतु पुत्र कामेष्ठि यज्ञ के यज्ञाचार्य बने। देवऋषि नारद का अजनार लहार में मन्दिर है। तीर्थंकर पावई, बरासों, बरही में आए। महादानी कर्ण कुंती द्वारा जल प्रवाह करने पर चंबल, यमुना होते हुए गंगातट पहुंचे। मेघदूत विदर्भ महाराष्ट्र से अलकापुरी हिमालय गया। दिल्ली नरेश पृथ्वीराज चौहान महोबा आल्हा-ऊदल से युद्ध में पड़ाव डाला। कवि विष्णुदास व्यास लावन ने सं.1500 में महाभारत व रामायण लिखी। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 में इन्दुर्खी रौन से निकलीं। आचार्य विनोबा भावे भूदान आंदोलन में महदवा के संत महाराज जी से मिलने आए। विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक युगऋषि आचार्य श्रीराम शर्मा गायत्री शक्तिपीठ का शिलान्यास करने आए।
काव्य उजास में संतोष अवस्थी अंश, आचार्य गजेन्द्र सिंह शिक्षक, गजलकार किशोरीलाल बादल, एडवोकेट आशुतोष शर्मा नंदू, बालकवि यीशु त्रिपाठी तथा डॉ. सुनील त्रिपाठी निराला ने काव्यपाठ किया। कार्यक्रम का संचालन बाल कवि ईशु त्रिपाठी तथा आभार प्रदर्शन प्रशांत जैन ने किया।