सागर, 19 जुलाई। विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) सागर आलोक मिश्रा की अदालत ने कर्तव्य पर अनुपस्थित रहने का नोटिस देकर कार्रवाई के ऐवज में रिश्वत लेने वाले आरोपी संदीप जैन को दोषी करार देते हुए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा-7 के अंतर्गत तीन वर्ष का सश्रम कारावास एवं धारा-16 के आलोक में 20 हजार रुपए अर्थदण्ड तथा धारा 384 भादंवि के अंतर्गत दो वर्ष का सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया। मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी लक्ष्मी प्रसाद कुर्मी ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना संक्षिप्त में इस प्रकार है कि 27 दिसंबर 2018 को आवेदक वीरसिंह पुत्र स्व. जवाहर अहिरवार अधीक्षक शासकीय आदिवासी सीनियर बालक छात्रावास केसली जिला सागर ने अभियुक्त संदीप जैन सहायक आयुक्त जनजाति कार्य विभाग सागर के विरुद्ध पुलिस अधीक्षक, लोकायुक्त कार्यालय सागर को संबोधित करते हुए एक लिखित शिकायत/ आवेदन इस आशय का दिया कि जब से अभियुक्त संदीप जैन सहायक आयुक्त सागर के पद पर पदस्थ हुआ है, तब से वह उससे प्रति माह पांच हजार रुपए मांग रहा है, उसने अभियुक्त को पैसे नहीं दिए तो अभियुक्त ने उसे अनुपस्थिति (कर्तव्य पर अनुपस्थित रहने) का नोटिस दिया और उससे कहा कि पांच हजार रुपए नहीं देगा तो कार्रवाई कर देगा। वह अभियुक्त को रिश्वत नहीं देना चाहता है, बल्कि रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकडवाना चाहता है। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक, विपुस्था लोकायुक्त कार्यालय, सागर ने उक्त आवेदन पर अग्रिम कार्रवाई हेतु निरीक्षक संतोष जामरा को अधिकृत किया। आवेदन में वर्णित तथ्यों के सत्यापन हेतु एक डिजीटल वॉयस रिकार्डर दिया गया, इसके संचालन का तरीका बताया गया, अभियुक्त से रिश्वत मांग वार्ता रिकार्ड करने हेतु निर्देशित किया तत्पश्चात आवेदक द्वारा मांगवार्ता रिकार्ड की गई एवं अन्य तकनीकि कार्रवाईयां की गई एवं टे्रप कार्रवाई आयोजित की गई। नियत दिनांक को आवेदक द्वारा अभियुक्त को राशि दी गई व आवेदक का इशारा मिलने पर ट्रेप दल के सदस्य मौके पर पहुंचे और ट्रेप दल अभियुक्त के मकान में प्रवेश कर गया और अभियुक्त को चारों ओर से घेर लिया। अभियुक्त को ट्रेप दल का परिचय देकर अभियुक्त का परिचय प्राप्त करने के उपरांत रिश्वत राशि के बारे में पूछे जाने पर बताया कि उसने आवेदक से कहकर रिश्वत राशि अपने कमरे में रखे पलंग पर रखे अखबार के नीचे रखवा दी है। तत्पश्चात अग्रिम कार्रवाई प्रारंभ की गई। विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा-7 एवं धारा-384 भादंवि का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज करते हुए विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। जहां विचारण उपरांत विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर आलोक मिश्रा की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उपरोक्त सजा से दण्डित किया है।