पंच कल्याणक में महामुनिराज को नवधा भक्ति से कराया आहार
भिण्ड, 12 जून। मेडिटेशन गुरू उपाध्याय विहसंत सागर महाराज, मुनि विश्वसाम्य सागर महाराज ससंघ सानिध्य में निराला रंग बिहार मेला ग्राउण्ड में चल रहे 1008 मज्जिनेन्द्र जिनबिंब शांतिनाथ पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में सोमवार को सुबह भगवान का नित्यााभिषेक, पूजन कार्यक्रम किया गया। तत्पश्चात महामुनिराज शांतिकुमार की आहारचर्या विधि-विधान से हुई। जिसमें प्रथम आहार कराने का सौभाग्य रमेश चन्द्र जैन रानी बिरगवां परिवार को प्राप्त हुआ।
इस अवसर पर विहसंत सागर महाराज ने कहा कि यह पंचम काल है, पंचम काल का विशेष पुण्य है कि हमें तीर्थंकर नहीं मिले, लेकिन हमें पंच कल्याणक मिल रहे हैं, जिसमें हमें आज उनको आहार कराने का अवसर मिल रहा है, जो भगवान बनने वाले हैं। आज के समय में पुण्य का कार्य आहार कराना है। जो तीर्थंकर मुनिराज को आहार देते हैं और जो लेते हैं दोनों ही तर जाते हैं। दिगंबर साधु बनना बड़ी अदभुत और सुंदर प्रक्रिया है, वह कभी भोजन मांगकर नहीं लेते। पात्र में नहीं हाथों में आहार लेते हैं। तीर्थंकर का मोक्ष पाना निश्चित होता है। वे तो बिना आहार के भी निर्वाण प्राप्त कर सकते थे लेकिन तीर्थंकर उस समय आहार नहीं लेते तो आज आहार दान की परंपरा नहीं होती।
उन्होंने कहा कि मुनिराजों को पडग़ाहन की नवधाभक्ति क्रिया है, पडग़ाहन, उच्चासन, पाद प्रक्षालन हो जाने के बाद तब साधु संतों को थाली दिखाते हैं। हमारे आगम षटरस दिखाने का नियम है। जब मुनिराज आ जाते हैं तो नवधा भक्ति में पूजन होता है। तीन बार उठो और बैठो, तब बोलो मन शुद्धि, वचन शुद्धि, काया शुद्धि, आहार जल शुद्ध है। एक-एक करके आहार देना नवधा भक्ति कहलाती है।
लगाया गया स्वास्थ्य शिविर
निराला रंग विहार में चल रहे पंच कल्याणक महोत्सव में विवेकानंद हॉस्पीटल, संजीवनी रक्तदान संगठन एवं जैन मिलन महिला चंदसना भिण्ड के संयुक्त तत्वावधान में नि:शुल्क स्वास्थय परीक्षण शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें डॉ. एसके कृष्णराव एमबीबीएस डीटीसीडी ने छाती व फेफड़े रोग की जांच तथा रक्त समूह जांच, ब्लड शुगर जांच, बीपी जांच, चिकित्सा सलाह प्रदान की, जिसमें करीब दो सैकड़ा लोगों ने जांचें कराई।
लगा समवशरण, खिरी दिव्य देशना
पंच कल्यांणक महोत्सव में ज्ञान कल्याणक के अवसर पर समवशरण की रचना की गई। जिसमें विहसंत सागर महाराज एवं मुनि विश्वसाम्य सागर महाराज ने उस समवशरण पर बैठकर लोगों की जिज्ञासाओं को पूर्ण किया। उन्होंने कहा कि जैन धर्म में समवशरण या समोशरण सभी को शरण तीर्थंकर का दिव्य उपदेश होता है। इस समवशरण में प्रत्येक जीव पशु-पक्षी, मनुष्य, देवी-देवांगनाओं को भगवान की दिव्य ध्वनि सुनने का अवसर मिलता है एवं प्रत्येक जीव की शंका का समाधान उस दिव्य देशना के माध्यम से मिलता है। वहां पर उपस्थित लोगों ने अपनी-अपनी जिज्ञासाओं को रखा और महाराज ने जिज्ञासाओं का समाधान किया।
गजरथ महोत्सव आज
पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के अंतिम दिन मंगलवार को भगवान शांतिनाथ के मोक्ष के पश्चात गजरथ में भगवान को बिठाकर निकाला जाएगा, जो निराला रंग बिहार की परिक्रमा लगाएगा।