विशाल व्यक्तित्व सहृदय के धनी हैं डॉ. गोविन्द सिंह

जगत नारायण शर्मा


माह जुलाई 1997 के अंक में ग्वालियर से प्रकाशित होने वाली पत्रिका ‘मंगल मनस्वी’ में ‘लहार क्षेत्र लावारिस’ शीर्षक से एक लेख प्रकाशित किया, जिसमें डॉ. गोविन्द सिंह (वर्तमान में मप्र विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष) के विरुद्ध असत्य व अपमान जनक बातें लिखी गई थी। इतना ही नहीं बल्कि उनके विधायक के रूप में लेख में अवध्य व मानहानिक शब्दों का उल्लेख किया गया। डॉ. गोविन्द सिंह ने पत्रिका के मालिक विजय कुमार फौजी- प्रधान संपादक ‘मंगल मनस्वी’ व स्थानीय संपादक जगदीश सिंह के विरुद्ध न्यायालय प्रथम न्यायाधीश वर्ग-1 भिण्ड के न्यायालय में मानहानि के संबंध में क्षतिपूर्ति राशि 50 हजार रुपया दिलवाए जाने के संबंध में एक बाद प्रस्तुत किया, जो प्रकरण क्र.17-ए/97 के रूप में दर्ज किया गया एवं संपूर्ण सुनवाई के बाद न्यायालय ने आदेश दि.11 मार्च 2003 को पारित करते हुए सम्पादक व स्थानीय सम्पादक संयुक्त रूप से अथवा पृथक-पृथक 50 हजार रुपए का क्षतिपूर्ति मानहानि के लिए वादी को अदा करें का आदेश पारित किया। सम्पादक को जब 50 हजार रुपए क्षतिपूर्ति के रूप में न्यायालय ने वादी को अदा करने का आदेश दिया तब सम्पादक महोदय घवड़ा गए और ग्वालियर से सेवानिवृत डीआईजी महोदय को लेकर डॉ. गोविन्द सिंह के निवास लहार पहुंचे और गिड़गिड़ाकर मिन्नत की कि 50 हजार रुपए न्यायालय ने दिलाए जाने का आदेश दिया है को माफ कर दीजिए। डॉ. गोविन्द सिंह ने सेवानिवृत डीआईजी का मान रखते हुए 50 हजार रुपए की धनराशि माफ कर दी। इससे स्पष्ट है कि डॉ. गोविन्द सिंह एक विशाल व्यक्तित्व व सहृदय को व्यक्ति हैं।

लेखक- अभिभाषक संघ भिण्ड के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अभिभाषक हैं।