भक्तों के भाव के कारण अवतार लेते हैं भगवान : रामदास महाराज
भिण्ड, 28 दिसम्बर। शहर के वायपास रोड स्थित संस्कृति मैरिज गार्डन में श्रीराम कथा में कथा व्यास डॉ. राघवाचार्य महाराज ने कहा कि मनुष्य अगर अपने जीवन में रामचरित मानस की एक चौपाई को भी अगर अपने जीवन में उतार ले तो वह जीव इस संसार रूपी भवसागर से पार हो जाएगा।
संबंध का अर्थ बताते हुए उन्होंने कहा कि संबंध का अर्थ है दोनों तरफ एक समान तट हों, दोनों तरफ समान बंध हों, तभी उन दोनों के तटों के बीच में पानी की धारा प्रवाहित होगी। अगर एक तरफ का तट नीचा हो तो पानी बाहर निकल जाएगा। इसी प्रकार जीवन में प्रेम और भक्ति की सरिता प्रभावित करने के लिए भगवान से संबंध स्थापित करना होगा, लेकिन दोनों तट बराबर होने चाहिए तभी भगवान से भक्ति और प्रेम की सरिता प्रभावित होगी।
इस अवसर पर जिले के धार्मिक स्थल के महंत श्रीश्री 1008 महामण्डलेश्वर श्री रामदास महाराज ने अपने भजन गाकर भक्तों को मंत्र मुक्त किया। उन्होंने -तज के साकेत गोलोक बैकुंठ प्रभु इस धरातल पर आए सिया के लिए, करके संपन्न मनमखु अहिल्याधरण र्पैदल मिथिला में आए सिया के लिए…, भजन गाया जिसे सुनकर कथा पण्डाल में मौजूद भक्तगण झूम उठे।
महामण्डलेश्वर महंत रामदास महाराज ने आशीष वचन देते हुए कहा कि भगवान राम से विभीषण ने पूछा कि आप धर्म की स्थापना तो स्वर्ग से ही बैठकर कर सकते थे, फिर आपका इस धरातल पर आना क्यों हुआ, इन परपंचों में आप क्यों पड़ते हैं? तो भगवान ने कहा भक्तों एवं संतों के लिए हमारा आना होता है नहीं तो धर्म की स्थापना तो हम बैकुंठ लोक से भी कर सकते हैं और अधर्म का नाश भी हम वहीं से सकते हैं। भगवान अपने भक्तों की भक्तिभाव के बस में आकर इस धरातल पर अवतार लेते हैं। इस मौके पर पत्रकार रामशंकर शर्मा, गणेश भारद्वाज, जलज त्रिपाठी, अभिषेक शास्त्री, नरसी दद्दा, मिच्चू बाबा के सहित अनेक श्रृद्धालु मौजूद रहे।