लीची नाम मेरा, मैं लीची बदनाम

– राकेश अचल


इस मौसम का सबसे लजीला और सबसे रसीला फल है लीची। मैं तो इस पर लट्टू हूं। आज ही 200 रुपए किलो के भाव मिली। थोडी सी ले आया। लीची एक ऊष्ण कटिबंधीय फल है, जो भारत सहित दक्षिण-पूर्व एशिया में व्यापक रूप से उगाया जाता है। यह सपिंदेसी परिवार का सदस्य है और अपने रसदार, मीठे और सुगंधित गूदे के लिए जाना जाता है।
भारत में मैने लीची से लदे वृक्ष पहली बार गोरखपुर में देखे थे। लीची की खेती मुख्य रूप से बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, झारखण्ड और असम जैसे राज्यों में होती है, जिसमें बिहार का मुजफ्फरपुर क्षेत्र विशेष रूप से प्रसिद्ध है। लीची का गूदा रसदार, पारदर्शी और मीठा होता है, जिसमें हल्का फूलों जैसा स्वाद होता है। इसका बाहरी छिलका गुलाबी-लाल और खुरदरा होता है, जो आसानी से हटाया जा सकता है। पोषण: लीची विटामिन सी, पोटैशियम और एंटीऑक्सिडेंट्स का अच्छा स्त्रोत है। यह कम कैलोरी वाला फल है, जो हाइड्रेशन और पाचन में मदद करता है।
भारत में लीची का मौसम आमतौर पर मई से जुलाई तक होता है। इसे ताजा खाया जाता है, जूस, डेजर्ट या स्मूदी में भी आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। सूखे लीची को ‘लीची नट’ के रूप में भी खाया जाता है। लीची केवल फल नहीं बल्कि औषधि भी है। ये फल इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है। त्वचा के लिए लाभकारी। हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। हालांकि, अधिक मात्रा में खाने से लीची विषाक्तता (hypoglycemic encephalopathy) का खतरा हो सकता है, खासकर खाली पेट बच्चों में, लीची को गर्म और आद्र जलवायु की आवश्यकता होती है, लेकिन फूल आने के दौरान ठंडी और शुष्क परिस्थितियां चाहिए। भारत में शाही, चाइना, और बेदाना जैसी किस्में लोकप्रिय हैं। कीट, फल छेदक कीडे और मौसम परिवर्तन लीची की खेती को प्रभावित करते हैं। भारत में लीची को गर्मियों के मौसम का एक विशेष फल माना जाता है और इसे अक्सर मेहमानों को परोसा जाता है। यह स्थानीय बाजारों और निर्यात के लिए भी महत्वपूर्ण है।
वैश्विक स्तर पर लीची का वार्षिक उत्पादन लगभग 2.5 से 3 मिलियन टन अनुमानित है, हालांकि यह आंकडा मौसम, जलवायु, और खेती की तकनीकों के आधार पर बदल सकता है। चीन लीची का सबसे बडा उत्पादक देश, जिसका वार्षिक उत्पादन लगभग 2 मिलियन टन है। चीन में लगभग 100 किस्मों की लीची उगाई जाती है और यह दक्षिणी क्षेत्रों (विशेषकर ग्वांगडोंग, ग्वांग्शी और हाइनान) में प्रचुर मात्रा में होती है। भारत दूसरा सबसे बडा उत्पादक, जहां प्रतिवर्ष लगभग पांच लाख 85 हार 300 मीट्रिक टन लीची का उत्पादन होता है। भारत का उत्पादन वैश्विक स्तर पर लगभग 20-25 प्रतिशत हिस्सा रखता है। वियतनाम के उत्तरी भाग में लीची की खेती प्रमुख है और यह तीसरा बडा उत्पादक माना जाता है। थाईलैंड में भी लीची मिल जाती है। दक्षिण-पूर्व एशिया में लीची का महत्वपूर्ण उत्पादक, विशेष रूप से उत्तरी क्षेत्रों में मेडागास्कर, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त राज्य अमेरिका (फ्लोरिडा, हवाई) ये देश भी लीची का उत्पादन करते हैं, लेकिन उनका योगदान वैश्विक उत्पादन में अपेक्षाकृत कम है। प्रमुख उत्पादन क्षेत्र चीन, दक्षिणी चीन (ग्वांगडोंग, ग्वांग्शी, हाइनान) में लीची की खेती 2000 ईसा पूर्व से प्रचलित है। तो आज आप भी लीची खाइए, तबियत तर हो जाएगी। इसलिए आपरेशन सिंदूर, सीजफायर, शशि थरूर सब भूल जाइए। सिर्फ लीची खाइये।