विद्यार्थियों के भविष्य से कर रहे हैं खिलवाड
भिण्ड, 14 दिसम्बर। प्राइवेट स्कूलों में बच्चों से मोटी फीस मसूरी जाती है। बच्चों को पढने वाले कथित शिक्षक अप्रशिक्षित हैं। कथित शब्द इसलिए प्रयोग किया गया है कि पता नहीं स्कूल संचालकों के रिकार्ड के अनुसार वे शिक्षक हैं भी या नहीं। यह बच्चों के भविष्य के साथ सीधे-सीधे खिलवाड है। ऐसे में अभिभावकों की जिम्मेदारी बनती है कि वे प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों का दाखिला कराने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि शिक्षकों की योग्यता क्या है। यह स्थिति कुछ ही प्राइवेट स्कूलों की नहीं है, मालनपुर में लगभग एक दर्जन प्राइवेट स्कूल हैं, जिसमें अधिकांश स्कूलों में छात्र-छात्राओं को अब अप्रशिक्षित शिक्षक पढा रहे हैं। शहर से ज्यादा ग्रामीण इलाकों में स्थिति और भी ज्यादा खराब है। जहां अधिकारी निरीक्षण के लिए भी नहीं पहुंचते, किसी डीईओ या बीईओआई यह जांच नहीं करते कि प्राइवेट स्कूलों में पढाने वाले शिक्षकों की योग्यता क्या है। प्रशिक्षित शिक्षक पढाने के ऐवज में वेतन ज्यादा मांगते हैं जबकि आठ से 10 पास कथित शिक्षक तीन से चार हजार रुपए में आसानी से मिल जाते हैं।
शिक्षा विभाग की गाइडलाइन के अनुसार प्राइवेट स्कूलों में प्रशिक्षित शिक्षक होना अनिवार्य है। स्कूलों में बच्चों के खेल के लिए खुला मैदान होना चाहिए। बालक-बालिकाओं के लिए अलग-अलग शौचालय होना चाहिए। शिक्षा विभाग की गाइडलाइन के अनुसार उचित फीस लेना अनिवार्य है। आग बुझाने के यंत्र जैसी अन्य सुविधाएं शिक्षा विभाग की गाइडलाइन के अनुसार होनी चाहिए, लेकिन मालनपुर का हाल बुरा है। यहां स्कूलों में दिखावा कर डीजे एवं फॉर्मेलिटी कर डेकोरेशन लगवा कर बच्चों से उच्च शिक्षा के नाम पर अत्यधिक फीस वसूली कर लूटा जा रहा है। कभी ड्रेस के नाम पर तो कभी स्कूल बुक के नाम पर टॉर्चर कर बच्चों को पलकों से अवैध फीस वसूली की जाती है। लेकिन इस पर शिक्षा विभाग अधिकारियों का कोई ध्यान नहीं है।