गोहद विकास खण्ड के 10 स्थानों पर पहुंची स्नेह यात्रा
भिण्ड, 26 अगस्त। स्नेह यात्रा का प्रधान लक्ष्य यही है कि हम सब एक दूसरे से प्रेम करें। हम सबको मानव जाति से प्रेम करना चाहिए। जब हरि का भजन करके सब हरि के हो जाते हैं तो फिर जाति कहां रह जाती है। भक्त की कोई जाति नहीं होती हमें यह ध्यान रखना होगा। इसलिए आप सभी सारे द्वेष, विद्वेष और कटुता को भुलाकर आपस में स्नेह का मार्ग प्रशस्त करें। यही मप्र शासन की मंशा है। इसलिए यह स्नेह यात्रा है। यह बात आचार्य शंकर न्यास पीठ से पधारे स्वामी वेदतत्वानंद महाराज दसवें दिन गोहद विकास खण्ड में संचालित स्नेह यात्रा ने कही।
मौ क्षेत्र में स्वामी वेदतत्वानंद महाराज ने कहा जाति कब आई इसका कोई इतिहास नहीं। सही मायने में यह सब देश को तोडने का यह क्रम शुरू किया गया है। इसलिए हमको सचेत रहने को आवश्यकता है। यह बहुत गंभीर है कि हम आपस बटे जा रहे हैं और निरंतर टूट रहे हैं फिर भी हम एकजुट नहीं हो पा रहे हैं, यह भाव जब अधिक दिखा तो सरकार को स्नेह यात्रा का संचालन करना पडा। इस यात्रा का उद्देश्य सबको सम्मानता का भाव उत्पन्न करना है। इसलिए मप्र शासन द्वारा निकाली जा रही इस स्नेह यात्रा में आप सभी लोग इसकी मूल अवधारणा को समझकर कार्य करें। भगवान ने सबको समान अवसर दिए हैं। जब ईश्वर ने भेदभाव नहीं किया तो आप कैसे कर सकते हैं। इसलिए हमें जातियों से ऊपर उठकर सोचना होगा। गांवों में आज भी भेद का भाव आता है लेकिन उसे स्नेह से दूर किया जा सकता है। इस यात्रा में जिस प्रकार का स्नेह मिल रहा है यह अविभूत है। जैसे ही द्वेष खत्म होगा और प्रेम का विस्तार होगा शासन की इस यात्रा का उद्देश्य पूर्ण हो जाएगा। यह यात्रा प्रत्येक दिन लगभग 10 ग्रामो से निकल रही है। भिण्ड जिले के विकास खण्ड गोहद में स्नेह यात्रा निरंतर संचालित हो रही है।
इस दौरान दसवें दिन यात्रा मौ नरसिंह भगवान मन्दिर, सलमपुरा, देहगांव, अंगसोली, झांकरी, कल्याणपुरा, पाली, चितौरा, बगथरा, खरुआ, कठवा गुर्जर, बनीपुरा अगनुपुरा, गोहद में रात्रि विश्राम और सहभोज हुआ। इस यात्रा के प्रति ग्रामीणों में काफी उत्साह है। स्वामीजी द्वारा समस्त ग्रामों में ग्रामवासियों को आपसी प्रेम, सहयोग, स्नेह साथ ही जाति-पांति, ऊंच-नीच, अमीर-गरीब, छुआछूत इन सबसे उपर उठकर सभी को सामूहिक रूप से समाज में सामूहिकता से रहने का संदेश दिया जा रहा है।