भिण्ड, 12 अगस्त। जनपद पंचायत गोहद के अंतर्गत गांवों की हालत बाद से बदत्तर है। गांवों के विकास के लिए संचालित योजनाओं का यथार्त के धरातल पर खोज पाना टेड़ी खीर है। गांवों में मनरेगा, खेत खलिहान योजना आदि योजना गांव की तश्वीर बदलने के लिए बनाई गई थी, जिनके लिए बजट भी स्वीकृत होता है। लेकिन इसके बाद भी गांव की तश्वीर बदहाल है। चुनी हुई सरकार आमजन को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने का दावा करती है, लेकिन यहां न तो शुद्ध पेयजल है, ना ही बिजली है, शिक्षा, स्वास्थ्य की बात तो बेमानी है। यहां आवागमन के रास्ते भी नहीं है। गोहद जनपद के ग्राम पंचायत तेहरा का गांव जो सिख बाहुल्य है, लेकिन यहां व्यक्ति का जीवन तो सुविधाओं के अभाव में व्यतीत होता है, जीवन के अंतिम पड़ाव मुक्तिधाम के लिए भी सुगम रास्ता नहीं है, यहां लगा टीनशेड से चादर टूटी हुई है, परिक्रमा के लिए भी स्थान नहीं है, बरसात के मौसम में आने वाले लोग खुले आसमान के नीचे खड़े रहते हैं।
तेहरा ग्राम पंचायत सरपंच गिर्राज सिंह सिकरवार ने बताया कि फतेहपुर गांव के मुक्तिधाम की बाउण्ड्री के लिए 15 लाख रुपए का एस्टीमेट बनाकर भेजा है, लेकिन बजट स्वीकृत नहीं हुआ। प्रत्येक गांव में मुक्तिधाम का होना सरकार की प्राथमिकता में है। लेकिन इसके बाद भी गांव में लोग त्रिपाल लगाकर घुटनो तक कीचड़ में चलकर अंतिम संस्कार करने को मजबूर हैं। क्या जनप्रतिनिधियों, शासन-प्रशासन की संवेदनाएं मर चुकी हैं।