– आनंद की अनुभूति ही सबसे बड़ा धन : शुक्ला
– जन अभियान परिषद और आनंद विभाग के तत्वावधान में लहार में हुई अल्प विराम कार्यशाला
भिण्ड, 24 अक्टूबर। आत्मिक संतुष्टि का रास्ता आनंद के गलियारे से ही निकलता है, बिना आनंद के जीवन नीरस है, इसलिए कार्य बोध में आनंद की मिश्री घोलिए देखिए किस तरह सरसता आती है। यह बात लहार एसडीएम विजय यादव ने जनपद सभागार लहार में मप्र जन अभियान परिषद और आनंद विभाग के तत्वावधान में आयोजित एक दिवसीय अल्प विराम कार्यशाला में कही। इस अवसर पर तहसीलदार दीपक शुक्ला, जन अभियान परिषद के जिला समन्वयक शिवप्रताप सिंह भदौरिया, जिला आनंद संपर्क अधिकारी संजय पंकज, मास्टर ट्रेनर प्रशांत भदौरिया, चन्द्रकांत बौहरे सहित विभागों के 60 अधिक कर्मचारी और अधिकारी मौजूद थे।
लहार जनपद पंचायत संभागर में अल्पविराम कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर पर दीप प्रज्वलन के दौरान एसडीएम विजय यादव ने कहा कि शासकीय कर्मचारियों में सकारात्मकता के विकास और आनंद की अनुभूति कराने की दृष्टि से प्रदेशभर में अल्पविराम परिचय कार्यशालाएं आयोजित की जा रही है। इसी श्रृंखला में जनपद पंचायत लहार के सभाकक्ष में एक दिवसीय विकास खण्ड स्तरीय अल्प विराम परिचय कार्यशाला आयोजित की गई है। हम सब आज के दौर में जिस आनंद को खोज रहे हैं सही मायने में वह हमारे अंदर ही है। हम सबको यह चाहिए कि जो अच्छा लगे वह जरूर करें।
तहसीलदार दीपक शुक्ला ने कहा कि हमारे जीवन में यह आवश्यक है कि हम सभी स्वयं के भीतर झांके एवं देखें कि हमारा क्षमता एवं नजरिया क्या है क्या इसे हम अपनी नकारात्मकता, अवसाद, चिंता इत्यादि को हटा पा रहे है एवं तनाव मुक्त आनंद पूर्ण जीवन के लिए आगे बढ़ पा रहे है यदि हम मानसिक तनाव मे होते है तो हम अपना शत प्रतिशत नहीं दे पाते हैं, इसलिए अवसाद को त्याग करें यही अल्पविराम का ध्येय भी है। ऐसी कार्यशालाएं होती रहनी चाहिए।
जिला समन्वयक डॉ. शिवप्रताप भदौरिया ने कहा कि अल्पविराम आनंद तक ले जाने का जरिया है, सही मायने में आनंद के लिए आपको ही जतन करना होगा। शारीरिक क्षमता के साथ साथ मानसिक क्षमता पर भी कार्य करने की आवश्यकता है जो इस कार्यशाला से हम स्वयं में देख सकते हैं, जांच सकते है, सभी अधिकारी एवं कर्मचारीगण अपने उत्तरदायित्व को सकारात्मक भाव से करें। अपने कार्यों से लोगों को आनंदित करने का काम करें हम समाज के सरकार के महत्वपूर्ण घटक है, हमको आनंदित होकर शासन की सारी योजनाओं को अंतिम पंक्ति के व्यक्ति तक आनंद के साथ पहुंचने का काम करना है, इसके साथ-साथ हमें अपने परिवारको भी आनंदित करें, ऐसे कार्य लगातार करते रहना चाहिए, आपके करने से लोगों के चेहरे पर मुस्कुराहट आ सके है ऐसे काम करें।
जिला आनंद संपर्क समन्वयक संजय पंकज ने सत्र लेते हुए बताया कि खुशी और आनंद अलग-अलग हैं। खुशी क्षणिक होती है, जबकि आनंद शास्वत और स्थाई होता है। सही मायने में आभाव के भाव का अभाव ही आनंद है। इस सत्र में अल्पविराम की गतिविधि के बाद प्रतिभागियों ने जाना कि उनका आनंद कब बढ़ता है और कब घटता है। जीवन में आनंद कब बढ़ता है और कब घटता है।
ट्रैनर प्रशांत भदौरिया ने अपने सत्र में जीवन का लेखा जोखा (लाइफ बैलेंस शीट) के बारे में बताया कि उन्होंने कब कब किस किसकी नि:स्वार्थ मदद की है और किन किन ने उनकी नि:स्वार्थ मदद की है। भोजनोपरांत तृतीय सत्र में मास्टर ट्रेनर चन्द्रकांत बौहरे ने सत्र चिंता का दायरा और प्रभाव का दायरा के माध्यम से प्रतिभागियों को चिंता के दायरे से बाहर निकाला तथा रिश्ते (रिलेशनशिप) के द्वारा रिश्तों प्रगाढ़ता और दरार लाने बाले कारकों से परिचित कराया। मास्टर ट्रेनर प्रशांत भदौरिया ने स्वयं से स्वयं की मुलाकात संपर्क सुधार के बारे में बताया।
विकास खण्ड समन्वयक सुनील कुमार चतुर्वेदी ने प्रतिभागी के साथ अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि यदि हम स्वयं से स्वयं के संपर्क सुधार की प्रक्रिया प्रारंभ होती है जो हमैं सुमार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। इसी क्रम में अपने जीवन के अनुभवों के माध्यम से अपने जीवन के पहलू प्रतिभागियों को साझा किए कि कैसे अल्पविराम से स्वयं में सुधार करके सुपथ पर अग्रसर हुए है। कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागियों ने अपने अनुभव एवं फीडबैक शेयर किया तथा प्रमाण पत्र वितरण किया गए। अल्पविराम कार्यशाला में विकास खण्ड के महिला बाल विकास विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग, पुलिस विभाग, राजस्व विभाग, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, आदिम जाति कल्याण विभाग, योजना आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग खेल एवं युवक कल्याण विभाग सहित अन्य विभाग के 70 अधिकारी/ कर्मचारी ने सहभागिता की। कार्यक्रम का आभार लहार विकास खण्ड समन्वयक सुनील चतुर्वेदी ने किया।







