दंदरौआ धाम में श्रीराम कथा में हुए प्रवचन
भिण्ड, 23 नवम्बर। इस संसार में वही व्यक्ति धर्मरथ पर बैठ पाता है जो व्यक्ति भक्ति के पथ पर चलता है। धर्मरथ के दो पहिए होते हैं, पहला पहिया शौर्य और धर्मरथ का दूसरा पहिया धैर्य होता है। जो व्यक्ति शौर्य और धैर्य के साथ इन दोनों पहियों को लेकर चलते वही व्यक्ति भक्ति के पथ पर चलने के अधिकारी हैं। यह उद्गार दंदरौआ धाम में चल रही श्रीराम कथा में प्रवचन करते हुए कथा वाचक पं. रमेश शुक्ला व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि राम का नाम और राम कथा के तत्व अच्छे अच्छे पशुओं को मनुष्य बना देते हैं, जो मनुष्य रामकथा के पुष्पक विमान में बैठ जाता है, वह पशु से मनुष्य बन जाता है क्योंकि हम मनुष्य के चोले में पशु जीवन व्यतीत कर रहे हैं। लेकिन जो मनुष्य रामकथा की शरण में पहुंच जाते हैं और उसे सुनते हैं तो सांसारिक मोह माया से दूर होकर भक्ति में लीन हो जाते हैं।
इस मौके पर मंहत रामदास जी महाराज ने आशीष वचन देते हुए कहा कि रामकथा श्रवण करने से मनुष्य के जीवन में भक्ति का संचार होता है, जिससे मनुष्य के मुक्ति एवं कल्याण में सहायता प्रदान करते है हरि गुणगान सुनने का बहुत बड़ा महत्व है। मनुष्य को मृत्युलोक से मुक्ति के लिए राम और सीता दोनों का भजन करना चाहिए और अपने आचरण में उतारना चाहिए और राम और सीता दोंनों नाम रटने से चार तत्वों धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती। मनुष्य को अगर मोहमाया से दूर रहना है तो रामकथा का श्रवण करना अत्यंत आवश्यक है। इस अवसर पर राधिकादास महाराज, पं. भोलाराम शास्त्री प्राचार्य, अम्बरीश आचार्य सहित अनेक गणमान्य नागरिक एवं आमजन मौजूद रहे।