आचार्य विशुद्ध सागर श्रमण संस्कृति विमल-सन्मति-विराग परम्परा के सबसे बडे संत पट्टाचार्य बने

-अहिंसा ग्रुप द्वारा विरागसागर से दीक्षित शिष्य-परिशिष्यों की डायरेक्टरी का विमोचन दो मई को होगा

भिण्ड, 29 अप्रैल। जिले में ऊमरी के पास स्थित ग्राम रूर में 18 दिसंबर 1971 को रामनारायण जैन के घर में मां रत्तीबाई जैन की कोख से जन्मे राजेन्द्र जैन उर्फ लला ने पूरे विश्व में आचार्य विशुद्ध सागर महाराज के रूप में पहचान कायम की है। उनकी त्याग, तपस्या व आध्यात्म के चलते आज वे श्रमण संस्कृति की विमल-सन्मति-विराग परम्परा के सबसे बडे आचार्य यानि पट्टाचार्य बन गए हैं।
उन्हें पट्टाचार्य से विभूषित करने के लिए सुमतिधाम इन्दौर में 27 अप्रैल से दो मई तक पट्टाचार्य महामहोत्सव का भव्य व ऐतिहासिक आयोजन किया गया है, जिसमें देश-विदेशों से जैन धर्मानुयायी काफी संख्या में पधार रहे हैं। गणाचार्य विराग सागर महाराज ने समाधि से पूर्व अपना उत्तराधिकारी अपने शिष्य आचार्य विशुद्ध सागर को घोषित कर दिया था। जिनका आज सुमतिधाम इंदौर में 27 अप्रैल से 2 मई तक पट्टाचार्य महामहौत्सव का आयोजन किया जा रहा है।
ऋषभ जैन ने बताया कि 1988 में मुनि 108 विराग सागर महाराज का भिण्ड में पावन वर्षा योग हुआ था। जहां विशुद्ध सागर गृहस्थ अवस्था के राजेन्द्र उर्फ लला उस अवधि में अपनी बहन के यहां भिण्ड में रहकर गुरुवर के संघ में आते-जाते रहते थे। इससे लम्बे समय तक गुरुवर का सानिध्य मिला उनकी धार्मिकता, वात्सल्य व प्रवचनशैली का विशुद्ध सागर पर गहरा प्रभाव पडा जिससे उनका मन विराग सागर के चरणों में रम गया और वे संघ में ही रहने लगे और आचार्यश्री के संघ के साथ ही भिण्ड से विहार कर उनके साथ चले गए। आचार्य विशुद्ध सागर महाराज की 18 वर्ष की उम्र में प्रथम क्षुल्लक दीक्षा यशोधर सागर के रूप 11 अक्टूबर 1989 को भिण्ड में हुई। इसके बाद ऐलक दीक्षा 19 जून 1991 को पन्ना में हुई तथा मुनि दीक्षा 21 नवंबर 1991 को श्रेयांस गिरि में विशुद्ध सागर के रूप में आचार्य विराग सागर महाराज के हस्तकमलों से हुई। इसके बाद विशुद्ध सागर महाराज के गुरू विराग सागर महाराज ने 31 मार्च 2007 को महावीर जयंती के पावन अवसर पर औरंगाबाद महाराट्र में विशुद्ध सागर महाराज को आचार्य पद से संस्कारित व प्रतिष्ठित किया तब से आचार्य विशुद्ध सागर महाराज निरंतर मोक्ष मार्ग की ओर बढ रहे हैं।
ऋषभ जैन अडोखर ने बताया कि आचार्य विशुद्ध सागर महाराज के पट्टाचार्य बनने से भिण्ड जिला अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहा है। उन्होंने बताया कि अहिंसा ग्रुप भिण्ड ने गणाचार्य विराग सागर महाराज द्वारा दीक्षित शिष्य व उनके परिशिष्यों की जानकारी का डाटा संकलित कर एक डायरेक्टरी (एल्बम) तैयार की गई है, जिसका विमोचन पट्टाचार्य महाकुंभ सुमति धाम इन्दौर में दो मई को किया जाएगा।