हिन्दी भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि हमारी पहचान और गर्व का प्रतीक भी है : नन्दू

भिण्ड, 13 सितम्बर। कवि व साहित्यकार आशुतोष शर्मा नन्दू ने हिन्दी दिवस के अवसर पर बताया कि मां भारती के माथे का सुशोभित भाल है, हिन्दी त्याग, समर्पण, बलिदान और राष्ट्रप्रेम से ओत-प्रोत भाषा है, यदि हम हिन्दी को पढेंगे, जानेंगे, समझेंगे तो स्वत: ही हम हिन्दी के हो जाएंगे, हम मां भारती के हो जाएंगे। देशभक्ति के अंकुर अपने आप मन के भावों में उतर आएंगे। भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि हमारी पहचान और गर्व का प्रतीक भी है। हिन्दी की महत्वपूर्ण भूमिका केवल साहित्यिक या सांस्कृतिक संदर्भ में ही नहीं है, बल्कि यह हमारी सामाजिक और राष्ट्रीय एकता को भी सुदृढ करती है।
उन्होंने कहा कि भारत जैसे विविधताओं से भरे देश में हिन्दी एक ऐसा साझा माध्यम है जो विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों के बीच समझ और संवाद का पुल तैयार करता है। हिन्दी दिवस हमें इस बात की याद दिलाता है कि हमें अपनी भाषा की पहचान बनाए रखनी चाहिए और इसे न केवल अपने घरों में, बल्कि समाज के हर क्षेत्र में प्रोत्साहित करना चाहिए। हमें अपने बच्चों को हिन्दी की महत्ता समझानी चाहिए और उन्हें इसके प्रति प्यार और सम्मान सिखाना चाहिए। हिन्दी दिवस पर हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपनी मातृभाषा का सही तरीके से उपयोग करें और इसे संजोएं। शिक्षा, संचार और मीडिया के क्षेत्र में हिन्दी की महत्वपूर्ण भूमिका को समझना और अपनाना आवश्यक है। हिन्दी दिवस हमें अपनी मातृभाषा के प्रति गर्व और सम्मान की भावना को जागरूक करता है। हिन्दी भाषा भारतीय संस्कृति और परंपराओं की वाहक है, जो हमें हमारी सांस्कृतिक धरोहर से जोडती है। हिन्दी साहित्य, कविता, और गीतों ने भारतीय समाज को एक नया दृष्टिकोण और आनंद प्रदान किया है। हिन्दी भाषा ने विभिन्न भारतीय भाषाओं और संस्कृतियों के बीच एकता और समझ को बढावा दिया है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार और संवर्धन को प्रोत्साहित करना है। इस दिन को संविधान सभा द्वारा हिन्दी को भारतीय गणराज्य की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार करने की खुशी में मनाया जाता है।