सागर, 30 दिसम्बर। द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश जिला सागर शिवबालक साहू की अदालत ने लाठियों एवं पत्थर से मारपीट कर हत्या कारित करने वाले आरोपीगण देवराज दांगी एवं नन्नेराजा को दोषी करार देते हुए धारा 302 भादंवि के तहत आजीवन कारावास एवं सात-सात हजार रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। शेष आरोपीगण को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त किया गया एवं इसी मामले के काउंटर प्रकरण में सभी आरोपीगण को दोषमुक्त किया गया। मामले की पैरवी प्रभारी उपसंचालक (अभियोजन) धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी सौरभ डिम्हा ने की।
जिला अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी सौरभ डिम्हा ने प्रकरण की जानकारी देते हुए बताया कि फरियादी नन्हेभाई सिंह ठाकुर ने जिला चिकित्सालय में देहाती नालिसी पर रिपोर्ट लेख कराई कि 27 जून 2020 को मैं अपने टेकाराम वाले खेत पर कुआ की मरम्मत में था, हमारा बडा भाई राजाभैया, लडका रविन्द्र तथा छोटा भाई चंदन सिंह उर्फ हल्ले भाई सभी काम कर रहे थे, उसी समय देवराज दांगी शाम करीब चार बजे वहां मौके पर आया और मुरम मेरे खेत की तार फैंसिंग की मेड पर डालने लगा, मना करने पर मुझे गंदी-गंदी गालियां देने लगा, गाली देने से मना किया तो देवराज ने मुझे मुंह व नाक में कुल्हाडी की मुदानी मारी जो मुंह व नाक से खून निकलने लगा, उसी समय नन्नेराजा लाठी-पत्थर लेकर, रामराजा लाठी लेकर, इन्द्रराज और रामनरश लाठी-पत्थर लेकर तथा रामअवतार भी लाठी लेकर एकराय होकर आए, ये सभी गाली देते हुए बोले कि आज छोडना नहीं है और जान से खत्म करना है। जो इन सभी ने लाठी, पत्थर से मुझे व मेरे भाई हल्लेभाई , बडे भाई राजा भईया तथा लडका रवीन्द्र से मारपीट करने लगे, जिससे मुझे मुंह, नाक, पेट, बांई जाघ में और बडे भाई राजा को दाहिने कंधा तथा बांए पैर व पीठ में चोटें आई, लडका रवीन्द्र को सिर, सीना, पेट, पैरों में चोटें आई थी। लडका रवीन्द्र बेहोश हो गया था, मौके पर भतीजा एवं अन्य लोग आ गए थे, जिन्होंने बीच-बचाव किया। फिर गाडी से आहत रवीन्द्र और छोटे भाई हल्ले के साथ तिली अस्पताल सागर आए जहां डॉक्टर ने रवीन्द्र को मृत घोषित कर दिया। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना सुरखी पुलिस ने भारतीय दण्ड संहिता 1860 की धारा 302, 307, 294, 323, 324, 147, 148, 149 का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज कर विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। जहां अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। विचारण उपरांत द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश शिवबालक साहू के न्यायालय ने आरोपीगण को दोषी करार देते हुए उपर्युक्त सजा से दण्डित किया है।