गीता हमें अहिंसक बनना सिखाती है हिंसक नहीं : दीपा दीदी

भिण्ड, 05 अक्टूबर। गोल्डन वल्र्ड रिट्रीट सेंटर मालनपुर में श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी दीपा दीदी ने कहा कि आज हर मानव अपने वास्तविक स्वरूप एवं स्वधर्म को भूल गया है? अपने को देह समझ अपने आंतरिक शक्तियों का हनन कर दिया है, जबकि वास्तविक रूप में हम सभी देह नहीं, एक चेतन शक्ति आत्मा हैं।
उन्होंने कहा कि इस दुनिया में आकर आप कितना भी धन कमा लो लेकिन वह धन आपके साथ नहीं जाएगा, इस दुनिया से आपके साथ सिर्फ आपके किए गए पुण्य ही जाएंगे। इसलिए भगवान को याद करते जाइए और पुण्य कर्मों की कमाई जमा करते जाइए। संसार में भगवान से प्रेम करने वाले पांच प्रतिशत लोग ही होंगे, जो सच्चे दिल से ईश्वर से प्रीत करते हैं। वही धर्म पक्ष का वाचक है और वही फिर पांडव है। पांच पांडव हुए जिसमें युधिस्टर-आध्यात्मिक व्यक्तित्व वाला, युद्ध जैसी परिस्थिति में भी स्थिर बुद्धि-सदबुद्धि, संतुलित बुद्धि रहे। उसको ही युधिस्टर कहेंगे। दूसरे हैं भीम- आत्म शक्ति से संपन्न, जिसके पास आत्मबल है, इसके सामने कोई भी परिस्थिति ठहर नहीं सकती। तीसरा है अर्जुन- जिसमें अर्जन करने का भाव है, भगवान ने जो कहा कि उसने हांजी करके उसे स्वीकार किया, फिर उसे कर्म में लाया। चौथा नकुल- जो नियमों में चलने वाला, सिद्धांतवादी व्यक्ति। सहदेव- जो हर कार्य में अपना सहयोग देता हो, यह पांच पांडव हैं। अगर हम चाहे तो पांडवों के गुण धारण कर धर्म पक्ष के तो बन ही सकते हैं। ऐसे ही कौरव थे जो अधर्म पक्ष का वाचक है, जो परमात्मा के विपरीत बुद्धि हैं। कौरवों के नाम की शुरुआत ही दो उपसर्ग से होती है जैसे- दुर्योधन, जो धन को बुरे कार्य में लगाने के लिए तैयार है, उसका दुरुपयोग करता है। दुशासन- जिसके जीवन में अनुशासन नाम की चीज ही ना हो। दुर्मुख, दुष्कर्म, दुशाला इनके मन के अंदर कहीं ना कहीं दुष्टता का भाव है, जो दूसरों को दुख देना चाहते हैं वही अधर्म पक्ष और कौरव पक्ष का वाचक हैं। ऐसे समय पर मानव जाति को इस संघर्ष में गीता ज्ञान की अत्यधिक आवश्यकता है। इसके लिए ही सभी को अपने को चेतन शक्ति आत्मा समझना जो इस शरीर रूपी रथ में बैठकर रथी बन हर कार्य कर रही है। जैसे गाडी बिना पेट्रोल के नहीं चल सकती, मोबाइल बिना बैटरी के नहीं चल सकता, ऐसे हमारा शरीर बिना आत्मा के कोई कार्य नहीं कर सकता।
कार्यक्रम में कंपनी मैनेजर ब्रजकिशोर, स्टाफ नर्स चंद्रप्रभा, चीफ इंजीनियर रामदास राठौर, सतनाम भाई, महेश भाई, नीलेश भाई, बैंक मैनेजर यादराम कुशवाहा उपस्थित थे।