ग्वालियर, 18 अप्रैल। मप्र शासन के राजकीय अतिथि मेडिटेशन गुरु विहसंत सागर महाराज ने सोमवार को ठाठीपुर स्थित दिगंबर जैन गुलाबचंद की बगीची पहुंच कर धर्मसभा को संबोधित किया।
मुनिश्री ने कहा कि अपने जीवन को सुखमय और शांतिमय बनाने के लिए उस द्वार को बंद करो जहां से दु:ख आ रहा है। गलत दृष्टिकोण होने के कारण गलत दरवाजा बंद नहीं हो पाता। अपने भीतर चिंतन करे तो व्यक्ति तर जाएगा। उन्होंने कहा कि आज के मानव के लिए ये पंक्तियां उपयुक्त हैं कि जिंदगीभर भूल मैं ये करता रहा, दाग चेहरे पर था और साफ आइना करता रहा। दर्पण को देखना और दर्पण में देखना, इसमें अंतर करना जानो। उन्होंने कहा कि पाप के माध्यम से अशुभ कर्मों का आगमन होता है। जब किसी की आंख में दूसरे के दुख देखकर आंसू आने लगे तो समझना उसके द्वारा धर्म हो रहा है। किसी भी स्थिति में रहकर धर्म ध्यान किया जा सकता है। चाहे घर हो, दुकान हो, ऑफिस हो, सफर हो, आप कहीं भी धर्म कर सकते हो। ऐसा करने पर एक नए प्रकार के जीवन का संचार हो सकेगा।
उन्होंने कहा कि यदि हमने गुरु का नाम स्पष्ट नहीं किया तो धर्म पथ पर कदम नहीं रख सकते। दो नाव की सवारी करेंगे तो बेड़ा पार नहीं होगा। जिस प्रकार गाय दिन भर घूम कर वापस शाम को अपने घर ही लौटती है। गुरू पर अटूट श्रृद्धा रखें। श्रृद्धा ही ज्ञान, चरित्र की नींव होती है।
मुनिश्री ढोल तासे के प्रवक्ता के निवास पर पधारे, पद प्रच्छालन कर उतारी आरती
मप्र शासन के राजकीय अतिथि मेडिटेशन गुरु मुनि श्री विहसंत सागर महाराज ससंघ सोमवार को अपने गुरुभक्त जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन आदर्श कलम के निज निवास बृजविहार कालोनी पहुंचे। सुबह चंपाबाग धर्मशाला से ढोल-तासे के साथ मेडिटेशन गुरु मुनि श्री विहसंत सागर महाराज ससंघ गुरुभक्त प्रवक्ता सचिन जैन के निवास पर पहुंचे। गुरुदेव का अष्ट्र द्रव्य से पूजन कर चरणों मे अघ्र्य समर्पित किया। मुनिश्री के शुद्धजल से पाद प्रक्षालन कर गुरुवर आज मेरी कुटिया में आए है… गुरुवर की कृपा जिस पर हो जाए, मौज उड़ाए… मेरे सिर पर रखा दो गुरुवर अपने हाथ… भजनों के साथ भव्य दीपों से आरती उतारी। इस मौके पर माताश्री मीना जैन, प्रवक्ता सचिन जैन, मधु जैन, आयुषी जैन, आदि ने मंगल आशीर्वाद लिया।