भिण्ड, 12 फरवरी। ग्राम जुगे का पुरा में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में शनिवार को तृतीय दिवस आचार्य पं. रामअवतार कटारे जी सोनी वाले ने कथा का वाचन करते हुए कहा कि माता सती अनसुईया के त्याग तपस्या के प्रताप से संसार सागर का संपूर्ण संचालन करने वाले तीनों लोकों के त्रिदेव बालक स्वरूप माता की गोद में खेलते हैं, अखिल कोटि ब्रह्माण्ड नायक परब्रह्म के दर्शन मात्र के लिए ऋषि मुनि जीवन पर्यंत तप, त्याग, तपस्या मे लीन रहते हैं। वह महान सर्वश्रेष्ठ पारलौकिक सुख की प्राप्ति माता अनसुईया के आंगन बाल लीला करते हुए प्राप्त की है, सती अनसुईया संसार की श्रेष्ठ माताओं में से एक है, माँ की महानता से बड़ा संसार मे कोई नहीं हो सकता, भगवान को भी संसार में आना होता तो भगवान को भी माँ की आवश्यकता महसूस होती है, ध्रुव पांच साल की अवस्था में भगवान की गोद पाकर परमपद को प्राप्त करने मे माँ को ही श्रैय जाता है, जिसकी माँ सुनीति हो उस बालक को जीवन मे सब कुछ प्राप्त हो सकता है, माताओं को चाहिए अपने बालकों को सद्विचारों से अभिभूत करें जो समाज और राष्ट्र के लिए समर्पित भावनाओं से कार्य करते हुए जीवन को दूसरों व समाज के लिए उदारदापूर्ण हो सके।
श्रीमद् भागवत कथा के परीक्षत स्व. श्रीमती मुन्नी देवी-राजेश शुक्ला हैं। शनिवार को पूर्व विधायक राकेश शुक्ला, संजय शुक्ला, मदनमोहन शुक्ला, डीके शर्मा, सुभाष सरपंच मेघपुरा ने कथा का रसपान किया।