दूसरे के कागजात से पत्नी को नौकरी दिलवाने वाला शिक्षक बर्खास्त

न्यायालय ने ठहराया था दोषी, जिला शिक्षा अधिकारी ने की पुष्टि

भिण्ड, 01 जुलाई। दूसरी महिला के कागजातों से अपनी पत्नी को सरकारी शिक्षक बनवाने वाले शिक्षक को बर्खास्त कर दिया गया है। इस प्रकरण में न्यायालय ने शिक्षक को दोषी मानते हुए सजा भी सुनाई थी। जिसके आधार पर संयुक्त संचालक शिक्षा संभाग ग्वालियर ने शिक्षक को बर्खास्त कर दिया है। जिला शिक्षा अधिकारी भिण्ड ने इस बात की पुष्टि कर दी है।
जिले की अटेर तहसील स्थित लावन गांव के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पदस्थ माध्यमिक शिक्षक राजेश बाबू त्रिपाठी पुत्र लालता प्रसाद त्रिपाठी ने अपनी एक महिला रिश्तेदार सीमा शर्मा से उसकी नौकरी लगवाने के बहाने से उसके दस्तावेज प्राप्त कर लिए, उन कागजातों का उपयोग कर उसी के नाम पर शिक्षक ने अपनी पत्नी कांती देवी की संविदा शिक्षक वर्ग तीन की नौकरी दिलवाए जाने के आरोप लगे थे। इसके बाद न्यायालय प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश के अतिरिक्त न्यायाधीश गोहद द्वारा उन्हें अलग-अलग आपराधिक धाराओं में दोषी मानते हुए सात साल के सश्रम कारावास एवं अर्थदण्ड की सजा सुनाई थी। इसके बाद भी शिक्षक नहीं सुधरा और उसने पैरोल पर जेल से छूटने के बाद फर्जी चिकित्सा प्रमाण पत्र बनवाकर जेल अवधि का वेतन निकाल लिया। जब यह मामला सामने आया तो अधिकारियों ने मामले पर आनन-फानन में जांच बैठाल दी, जिसमें डॉक्टर भी लपेटे में आ रहे हैं, जिन्होंने बिना जांच किए ही बीमारी का फर्जी प्रमाण पत्र बना दिया।
इस मामले को लेकर संयुक्त संचालक लोक शिक्षण संभाग ग्वालियर के आदेश दिनांक 30 जून 2021 में शिक्षक राजेश बाबू त्रिपाठी को पदच्युत करने का निर्णय लिया गया है। पत्र में उल्लेख किया गया है कि न्यायालय द्वारा दोषी पाए गए शिक्षक राजेश बाबू त्रिपाठी को शासकीय सेवा में रखना लोकहित में नहीं है। उनका उक्त कृत्य मप्र सिविल सेवा आचरण अधिनियम 1965 के नियम 3 के उप नियम (1) एवं (3) के अंतर्गत घोर कदाचरण की परिधि में आता है। इन परिस्थितियों में विचारोपरांत राजेश बाबू त्रिपाठी के विरुद्ध दीर्घ शस्ति अधिरोपण का निर्णय लिया गया है। इसलिए उन्हें न्यायालय द्वारा दोष सिद्ध ठहराए जाने के फलस्वरूप सेवा से पदच्युत (डिसमिस) किया जाता है।