@ राकेश अचल
कहावत है कि ‘का वर्षा जब कृषि सुखानी ‘| भारत इस कहावत को चरितार्थ कर अपनी अपरिपक्वता की नजीर पेश कर रहा है.अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्रुथ सोशल पर भारत के साथ व्यापारिक रिश्तों को लेकर एक पोस्ट शेयर करते हुए दावा किया है कि भारत ने अमेरिकी आयात पर अब अपने टैरिफ को न्यूनतम करने की पेशकश की है, लेकिन उन्होंने इसे ‘बहुत देर से उठाया गया कदम’ बताया. अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘भारत को यह कदम सालों पहले उठाना चाहिए था.’
ट्रंप का यह पोस्ट ऐसे समय में आया है, जब उनके द्वारा लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ के कारण भारत-अमेरिका के व्यापारिक रिश्ते काफी तनावपूर्ण हो गए हैं.
इसमें ट्रंप ने दावा किया कि भारत अमेरिका को भारी मात्रा में सामान बेचता है, जबकि अमेरिका भारत को बहुत कम सामान बेच पाता है, जिसे उन्होंने दशकों से चला आ रहा ‘एकतरफा आपदा’ करार दिया.
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पोस्ट में कहा, ‘बहुत कम लोग जानते हैं कि हम भारत के साथ बहुत कम व्यापार करते हैं, लेकिन वह अमेरिका के साथ बहुत बड़े स्तर पर व्यापार करता है. दूसरे शब्दों में, वे हमें अपने सबसे बड़े ग्राहक के रूप में भारी मात्रा में सामान बेचते हैं, लेकिन हम उन्हें बहुत कम बेच पाते हैं.’
उन्होंने भारत पर दुनिया में सबसे ज्यादा इम्पोर्ट ड्यूटी (दूसरे देशों से आने वाले सामान पर आयात शुल्क) लगाने का आरोप लगाते हुए कहा कि इससे अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत में कारोबार करना मुश्किल हो गया है. ट्रंप ने भारत के रूस से तेल और सैन्य उपकरण खरीदने पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि भारत रूस से भारी मात्रा में तेल और सैन्य उपकरण खरीदता है, जबकि अमेरिका से बहुत कम खरीदता है.
आपको याद होगा कि डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय आयात पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया है. इसमें 25 प्रतिशत बेस लाइन टैरिफ है, और 25 प्रतिशत रूस से तेल खरीदने की सजा के रूप में एडिशनल टैरिफ है, जो 27 अगस्त 2025 से लागू हो चुका है. ट्रंप के इस कदम से भारत के टेक्सटाइल, रत्न-आभूषण और समुद्री खाद्य जैसे क्षेत्रों पर असर पड़ा है, जो अमेरिकी बाजार पर निर्भर हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति का आरोप है कि भारत तेल खरीदकर रूस को यूक्रेन युद्ध के लिए अपरोक्ष रूप से फंडिंग कर रहा है.
भारत शुरू से ही इस टैरिफ को अन्यायपूर्ण और अनुचित बता रहा है.. भारत ने कहा है कि उसका रूस से तेल आयात 1.4 अरब भारतीयों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने यह भी बताया कि कई पश्चिमी देश, जिनमें अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं, खुद रूस से व्यापार करते हैं, फिर भी भारत को अनावश्यक रूप से निशाना बनाया जा रहा है. भारत ने साफ किया है कि वह रूस से तेल खरीद जारी रखेगा, क्योंकि यह उसकी आर्थिक जरूरतों के लिए अनिवार्य है|