– राकेश अचल
भारत में पिछले एक दशक से भाजपा से लोहा ले रही कांग्रेस और कांग्रेस के छोटे बडे नेताओं को अब भी यकीन है कि आखिर में जीत सत्य की होगी, सत्ता की नहीं। सत्य की जीत के प्रति आश्वस्त नेता खुद और अपने नजदीकी रिश्तेदारों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई से परेशान जरूर हैं, लेकिन टूटे नहीं। सबसे पहले लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी और उनके परिवार की बात करते हैं। एक अनुमान के मुताबिक गांधी परिवार के खिलाफ बीते एक दशक में 36 मुकद्दमे लादे गए, इनमें से अकेले राहुल गांधी के खिलाफ ही 20 मुकद्दमे हैं। इनमें से अधिकांश मामले मानहानि से संबंधित हैं, विशेष रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और ‘मोदी सरनेम’ विवाद से जुडे हुए हैं।
कुछ उल्लेखनीय मामले मुझे याद हैं। इनमें सबसे रोचक मोदी सरनेम मानहानि मामला (2019) है। राहुल गांधी के खिलाफ सूरत, गुजरात में ‘सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?’ बयान के लिए मानहानि का केस दर्ज किया गया था। इस मामले में उन्हें 2023 में दो साल की सजा सुनाई गई, जिसके बाद उनकी लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी गई थी, हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर रोक लगा दी।
राहुल गांधी के खिलाफ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर कथित टिप्पणियों के लिए कई आपराधिक मानहानि के मामले दर्ज हैं। उदाहरण के लिए, 2015 में असम के बारपेटा मन्दिर में प्रवेश रोकने के आरोप में संघ कार्यकर्ता अंजन बोरा ने उनके खिलाफ केस दर्ज किया था। इसके अलावा, 2023 में हरियाणा के अंबाला में ‘21वीं सदी के कौरव’ वाली टिप्पणी पर उत्तराखण्ड के हरिद्वार में मानहानि का केस दर्ज हुआ। 2024- संसद परिसर में भाजपा सांसदों के साथ कथित धक्का-मुक्की के आरोप में राहुल गांधी के खिलाफ दिल्ली पुलिस में मुकद्दमा दर्ज किया गया था। इसमें हत्या के प्रयास (धारा 109) और गंभीर चोट पहुंचाने (धारा 117) जैसी धाराएं शामिल थीं, हालांकि हत्या के प्रयास की धारा पर तत्काल कार्रवाई नहीं हुई।
आपको याद होगा कि 2022 में भारत जोडो यात्रा के दौरान भारतीय सेना के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी के लिए लखनऊ की एक अदालत ने राहुल गांधी को 2025 में समन जारी किया गया। हाल ही में कोलकाता में राहुल गांधी के खिलाफ नेताजी की मृत्यु की तारीख का उल्लेख करने पर प्रकरण दर्ज किया गया। नेशनल हेराल्ड धोखाधडी का मामला तो आपको याद होगा ही।
राहुल गांधी के खिलाफ कुल 26 मामले दर्ज हो चुके हैं, जिनमें से कुछ में उन्होंने कोर्ट में माफी मांगी है, कुछ में वे जमानत पर हैं। उनकी मां श्रीमती सोनिया गांधी और बहनोई राबर्ट वाड्रा भी बचे नहीं। वे भी भ्रष्टाचार के तमाम मामलों में जांच एजेंसियों और अदालतों के चक्कर काट रहे हैं। रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ ईडी अर्थात प्रवर्तन निदेशालय ने गुरुग्राम की एक जमीन के खरीद-फरोख्त के मनी लॉन्ड्रिग केस में उनके खिलाफ चार्जशीट दायर की है। ईडी के इस एक्शन के बाद अब लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार को निशाने पर लिया है। राहुल ने कहा कि उनके बहनोई को पिछले दस साल से सरकार परेशान कर रही है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स के अपने हैंडल से एक पोस्ट किया। उन्होंने लिखा, मेरे बहनोई को पिछले दस सालों से इस सरकार ने परेशान किया है। यह ताजा चार्जशीट उसी षडयंत्र का एक और हिस्सा है। अपने एक्स पोस्ट के जरिए राहुल गांधी ने बहन प्रियंका के पूरे परिवार को समर्थन देने की बात कही। उन्होंने कहा, ‘मैं रॉबर्ट, प्रियंका और उनके बच्चों के साथ हूं। क्योंकि उन्हें दुर्भावनापूर्ण, राजनीतिक रूप से प्रेरित बदनामी और उत्पीडन का एक और हमला झेलना पड रहा है। मुझे पता है कि वे सभी किसी भी तरह के उत्पीडन का सामना करने के लिए पर्याप्त बहादुर हैं और वे इसे गरिमा के साथ करते रहेंगे। अंतत: सत्य की जीत होगी।’
उधर छत्तीसगढ में मुख्यमंत्री रह चुके भूपेश बघेल ईडी के निशाने पर हैं। बीते रोज ही पूर्व सीएम के भिलाई आवास पर ईडी का छापा मारा था। खुद भूपेश बघेल ने ट्वीट कर इस रेड की जानकारी दी थी। भूपेश बघेल ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा था, ‘ईडी’ आ गई। ईडी का छापा तब पडा जब विधानसभा सत्र के अंतिम दिन कांग्रेस अडानी के लिए तमनार में काटे जा रहे पेडों का मुद्दा उठाने वाली थी। ईडी के रडार पर भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य हैं। वे शराब घोटाले में लिप्त बताए जाते हैं। ईडी ने जब छापा मारा तब चैतन्य अपने जन्मदिन की तैयारी कर रहे थे। भूपेश बघेल ने एक्स पर लिखा, जन्मदिन का जैसा तोहफा मोदी और शाह जी देते हैं वैसा दुनिया के किसी लोकतंत्र में और कोई नहीं दे सकता। मेरे जन्मदिन पर दोनों परम आदरणीय नेताओं ने मेरे सलाहकार और दो ओएसडी के घरों पर ईडी भेजी थी। और अब मेरे बेटे चैतन्य के जन्मदिन पर मेरे घर पर ईडी की टीम छापामारी कर रही है। इन तोहफों का धन्यवाद। ताउम्र याद रहेगा।
छत्तीसगढ शराब घोटाला कथित तौर पर फरवरी 2019 में शुरू हुआ था। इस समय डिस्टिलरी से हर महीने 800 पेटी शराब लेकर 200 ट्रक भेजे जाते थे। बताया गया है कि शुरू के समय में प्रत्येक पेटी 2,840 रुपए में बेची जाती थी। बाद में जैसे-जैसे इस ऑपरेशन का विस्तार हुआ, महीने में इसकी मात्रा को दोगुना कर दिया गया और 400 ट्रक भेजे जाने लगे। इसके साथ ही पेटी की कीमत भी बढकर 3,880 रुपए हो गई। जांच में सामने आया कि केवल तीन साल के भीतर ही कथित तौर पर 60 लाख से अधिक पेटी शराब अवैध रूप से बेची गई, जिससे लगभग 2,174.60 करोड रुपए का अवैध राजस्व अर्जित हुआ।
कांग्रेसियों के खिलाफ ईडी, सीबीआई द्वारा दर्ज मुकदमों की फेहरिश्त लंबी है। सभी को यकीन है कि सच की जीत होगी और आज नहीं तो कल अच्छे दिन जरूर आएंगे।