भारत की आत्मा पर प्रहार है हिन्दी का विरोध : अर्पित मुदगल

भिण्ड, 02 जुलाई। महाराष्ट्र में हाल ही में हिन्दी भाषा को लेकर कुछ राजनीतिक दलों और नेताओं द्वारा दिए गए विवादास्पद और दुर्भाग्यपूर्ण बयानों पर भारत तिब्बत सहयोग मंच के युवा प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अर्पित मुदगल ने कडा विरोध जताया है।
उन्होंने कहा कि हिन्दी केवल एक भाषा नहीं है, यह भारत की आत्मा, संस्कृति और संवैधानिक पहचान है। हिन्दी का विरोध करना, भारत की एकता पर हमला करना है। कुछ नेताओं द्वारा हिन्दी को ‘थोपा जा रहा है’ कहकर जो जहर फैलाया जा रहा है, वह भारत की भाषाई एकता को तोडने का षड्यंत्र है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हम देश की सभी भाषाओं का सम्मान करते हैं, परंतु हिन्दी का अपमान अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भारत का संविधान हिन्दी को राजभाषा मानता है, इसे थोपना नहीं, जोडना कहते हैं।
अर्पित मुदगल ने महाराष्ट्र की जनता को संबोधित करते हुए कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे महापुरुषों की भूमि से हिन्दी का विरोध करना उनके मूल्यों और भारत की अखण्डता के विरुद्ध है। उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी कि हिन्दी विरोधी राजनीति करने वालों को जनता इतिहास के कूडेदान में फेंक देगी। हम राष्ट्रवादियों की प्राथमिकता भारत की एकता है, न कि भाषाई वोटबैंक। अंत में उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे हिन्दी के समर्थन में आगे आएं और देश को भाषाओं में बांटने वाली राजनीति का पुरजोर विरोध करें।