दिल के रिश्तों और विश्वास से बढ़ती है मित्रता : अखिलेश अर्गल

मित्रता विस्तार हेतु आनंद संध्या का हुआ आयोजन

ग्वालियर, 31 जुलाई। अंतर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस के अवसर पर जिला ग्वालियर के आनंदकों द्वारा आयोजित ऑनलाइन आनंद संध्या में अपने उदबोधन में राज्य आनंद संस्थान मप्र के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अखिलेश अर्गल ने कहा कि इस दिवस का आयोजन विभिन्न देशों, संस्कृति और समुदायों के बीच परस्पर सहयोग से मित्रता के संबंधों को मजबूत बनाने हेतु किया जाता है। उन्होंने आनंदकों से कहा कि हमारे जीवन में गहरी मित्रता वहां होती है, जहां दिल से यह विश्वास का रिश्ता बनता हैं। प्रेम, समर्पण, आपसी समझ, सहयोग और निस्वार्थता के भाव से मित्रता में प्रगाढ़ता आती है। हमें आनंदपूर्ण जीवन के लिए स्वयं से लेकर परिवार और समाज तक मित्रतापूर्ण व्यवहार को बढ़ावा देना चाहिए।


डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम लीडर (आनंद) विजय कुमार उपमन्यु ने आनंद संध्या की रूपरेखा और मित्रता दिवस की भूमिका पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के प्रारंभ में सरिता शर्मा ने गायत्री मंत्र एवं वन्दना गाई। डॉ. सत्यप्रकाश ने बताया कि संकट के समय हमारे मित्र ही साथ खड़े होते हैं, उन्होंने कोविड के समय अपने मित्रों द्वारा दिए सहयोग के लिए कृतज्ञता व्यक्त की। कार्यक्रम के संचालन में सहयोगी सीता पवन चौहान ने ‘अपरिभाषित मित्रता’ पर अपनी रचना पढ़ी।
डॉ. ज्योत्सना राजावत ने अपनी रचना में बताया कि पाकर नजर से इशारा, दिल तक पहुंच जाए, बिन कहे जीवन को खूबसूरत बनाए, वही मित्र कहलाए। भारती शाक्य ने मित्रता इसी का नाम है पर अपनी रचना पढ़ी और ‘तेरे जैसा यार कहां’ गीत गाया। पुष्पा मिश्रा ने रामायण और महाभारत काल की दोस्ती का उल्लेख करते हुए अपनी रचना पढ़ी। पूजा गुप्ता ने मित्रता जीना सिखाया पर प्रसंग रखा। डॉ. मिथलेश बघेल ने नारी की मित्रता के आयामों को अपनी रचना से अभिव्यक्त किया। तृप्ति शर्मा ने कहा कि मित्रता का कोई विकल्प नहीं होता और इसमें उम्र की कोई सीमा नहीं होती। संचालन में सहयोगी प्रतिभा दुबे ने अपनी रचना में बताया मन से मन मिलता है और दिल खिल जाते है, वे प्यार भरे रिश्ते मित्रता कहलाते है। सुजात यदुवंशी ने राधा-कृष्ण मित्रता का भजन सुनाया और आशा त्रिपाठी ने कृष्ण-सुदामा मित्रता प्रसंग बताया। अम्रता गुप्ता ने जीवन की गुत्थी में मित्र बहुत याद आते है रचना पढ़ी। मधु शर्मा ने बताया कि दोस्ती ऐसी हो जिसमें ‘मैंÓ की भावना ना हो। आशा गौतम ने मित्रता को रिसर्च का विषय बताया, उन्होंने कहा कि दोस्ती में वजन होता है लेकिन बोझ नहीं होता। गजेन्द्र सरकार ने मित्रता के आधारों पर अपने विचार व्यक्त हुए स्वयं से अच्छी मित्रता की शुरुआत करने के बारे में बताया। केके बुटोलिया ने गीत की पंक्तियों के माध्यम से मित्रता को एहसास बताया और कहा कि मित्रता का कोई जेण्डर नहीं होता। इंजी. एके शर्मा ने अपने जीवन मे मित्रों से प्राप्त सहयोग को याद करते हुए प्रेरक प्रसंग बताया। डॉ. विपेन्द्र सिंह ने मित्रता के संबंधों से मानसिक शांति और आनंद प्राप्ति का उल्लेख किया। डॉ. निशी भदौरिया, दीप्ति दीप ने भी काव्य रचना पढ़ी। कार्यक्रम में दीप्ति उपाध्याय, हेमंत निगम, डॉ. अतुल रायजादा, नीलम सक्सेना, सुनील रॉय, नरोत्तम शर्मा, हेमंत गुप्ता सहित करीब 50 आनंदक जुड़े। सभी ने अपने मित्रों को याद करते हुए अच्छी मित्रता का संकल्प लिया। सभी का विजय कुमार उपमन्यु ने आभार व्यक्त किया।