धर्म का मार्ग और पुण्य की साधना नहीं छोडऩी चाहिए : विनय सागर

मुनिश्री शहर के अलग-अलग जैन मन्दिरों के दर्शन कर चातुर्मास के लिए मन्दिर समिति को जोड़ रहे हैं

ग्वालियर, 15 जून। धर्म के मार्ग और पुण्य संचय का साधन कभी नहीं छोडऩा चाहिए। मनुष्य के जीवन की नैया पार इन्हीं दोनों मार्गों के माध्यम से होनी चाहिए। धर्म का मार्ग और पुण्य संचय का साधन दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। क्योंकि जो व्यक्ति धर्म के मार्ग पर चलेगा वहीं पुण्यकर्म करेगा। यह बात श्रमण मुनि श्री विनय सागर महाराज ने बुधबार को मामा का बाजार स्थित दिगंबर जैन मन्दिर में धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही।
मुनि श्री विनय सागर महाराज ने कहा कि धर्म का मार्ग जीवन में शांति देता है। इंसान को धर्म के साथ शांति का जीवन मिल जाए तो इससे बड़ी कोई पूंजी नहीं हो सकती है। हम अपने जीवन में धर्म और पुण्य दोनों का समावेश आसानी से कर सकते हैं, लेकिन इंसान इनका समावेश नहीं कर रहा है। जिसके कारण मनुष्य भटक रहा है और भटकते-भटकते वह मनुष्य का जीवन पूरा कर लेगा। इसके बाद उसे पता नहीं अगले जन्म में कौनसा भव (योनि) मिले। विचारों से ही संस्कारों की उत्पत्ति होती है। यही विचार हमारे जीवन को श्रेष्ठ बनाते हैं। इसलिए मनुष्य को अपनी लगन भगवान के प्रति लगानी चाहिए। जिससे वह इसी जन्म में भव को पार कर सके। इस मौके पर विपिन जैन, अखिल जैन, अजय जैन, संजीव जैन, संभव जैन, आदि मौजूद थे।

ज्ञान से परिपूर्ण इंसान शांत एवं स्थिर चित्त से भरा रहता है

मुनि श्री विनय सागर महाराज ने कहा कि कम ज्ञानवान ज्यादा दिखावा करता है। वहीं, ज्ञान से परिपूर्ण इंसान शांत एवं स्थिर चित्त से भरा रहता है। उसे दिखावे से कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि संसार में सभी क्रियाएं दो तरह से चलती हैं एक पक्ष तथा दूसरा विपक्ष। इसी प्रकार इसका तात्र्पय है कि ईश्वर, संत एवं अच्छे कर्म तो मनुष्य के पक्ष हैं। राग-द्वेष, अपूर्णता, दिखावा मनुष्य के विपक्ष हैं। यह सब मनुष्य के स्वयं के हाथ में है कि उसे पक्ष में चलना है या विपक्ष में। अपना बुरा भला स्वयं इंसान के हाथ में होता है।

धर्म के आगे दुनिया को झुकना ही पड़ता है

मुनि श्री विनय सागर महाराज ने कहा कि शिक्षा संस्कारों के साथ मिले उसे स्वीकार करना चाहिए। प्रभु का नाम, ज्ञान, ईश्वर की आराधना, जिनवाणी, गुरुवाणी करना चाहिए। धर्म के आगे दुनिया को झुकना ही पड़ता है। जितना धर्म रूपी बीज बोया गया है, मिट्टी में मिलकर फलीभूत होता है। आज का इंसान दूसरों को नीचा दिखाने का कार्य करता है, दूसरों की वृद्धि को देखकर जलता है।

मुनिश्री सिंकदर कंपू से मामा का बाजार जैन मन्दिर पहुंचे

जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि श्रमण मुनि श्री विनय सागर महाराज बुधबार को सिंकदर कंपू से पद विहार कर मामा का बाजार स्थित दिगंबर जैन मन्दिर पहुंचे। उनकी आगवानी जैन समाज के लोगो ने की। उन्होंने मन्दिर मठ विराजे भगवान जीनेन्द्र के दर्शन कर वंदना की। मुनिश्री गुरुवार को सुबह छह बजे माधोगंज जैन मन्दिर के लिए मंगल विहार करेगे। शहर के अलग-अलग जैन मन्दिरों के दर्शनों व चातुर्मास में मन्दिरों के अध्यक्ष, मंत्री को धर्म प्रभावन के लिए जोड़ेंगे।