बच्चे कि प्रथम गुरु मां : राघवेन्द्र पाराशर

भागवत कथा का तीसरा दिन

भिण्ड, 29 मई। जाग सरकार हनुमान जी मन्दिर मौ पर आयोजित भागवत कथा के तीसरे दिन रविवार कोव्यास पीठ से पं. राघवेन्द्र पाराशर जी महाराज ने कथा प्रसंग में विभिन्न भक्तों के चरित्रों की कथा श्रवण कराई, जिसमें कथा के विश्राम में ध्रुवजी महाराज के पावन चरित्र का उल्लेख किया और बताया कि बच्चे की प्रथम गुरु मां होती है। माता सुनीति के संस्कार से ध्रुव ने पांच वर्ष की अल्प आयु में भगवान का दर्शन किया। हमें अपने बच्चों को सुंदर ब अच्छे संस्कार देना चाहिए। जिससे जीवन निर्मल और पवित्र हो सके। एक मां ही अपने बच्चे को सुंदर संस्कार दे सकती है और अच्छे गुण दे सकती है। प्राचीन काल में भगवान राम और लक्ष्मण को जिस परिवार में रहने और धर्म में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने जो गुण पाय वैसे ही गुन शिशू मैं मां अपने पुत्रों को प्रदान कर सकती।