जिस घर में बहू-बेटी की इज्जत नहीं, उस घर में लक्ष्मी निवास नहीं करती: अखिलेश महाराज

भिण्ड, 27 अक्टूबर। आलमपुर क्षेत्र के ग्राम रजरापुरा में चल रही सात दिवसीय भागवत कथा के तीसरे दिन सोमवार को कथा व्यास अखिलेश लवानिया महाराज ने कहा कि सत्संग में वह शक्ति है, जो व्यक्ति के जीवन को बदल देती है। व्यक्ति को अपने जीवन में क्रोध, लोभ, मोह, हिंसा, संग्रह आदि का त्याग कर विवेक के साथ श्रेष्ठ कर्म करने चाहिए।
उन्होंने कहा कि वैराग्य मानव को ज्ञानी बनाता है, वैराग्य में मानव संसार में रहते हुए भी सांसारिक मोह माया से दूर रहता है। उन्होंने ध्रुव चरित्र की कथा सुनाते हुए बताया कि ध्रुव की सौतेली मां सुरुचि के द्वारा अपमानित होने पर भी उसकी मां सुनीति ने धैर्य नहीं खोया, जिससे एक बहुत बड़ा संकट टल गया। उन्होंने कहा कि परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य एवं संयम की नितांत आवश्यकता रहती है। भक्त ध्रुव द्वारा तपस्या कर श्रीहरि को प्रसन्न करने की कथा को सुनाते हुए उन्होने बताया कि भक्ति के लिए कोई उम्र की बाधा नहीं है। भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरणा देनी चाहिए, क्योंकि बचपन कच्ची मिट्टी की तरह होता है उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है।
इसी क्रम में उन्होंने कपिल चरित्र, सती चरित्र, ध्रुव चरित्र, जड़ भरत चरित्र, नरसिंह अवतार कथाओं का भी वर्णन किया। कथा के अंत में भगवान विष्णु की आरती की गई। कथा व्यास ने सामाजिकता को लेकर कहा कि हमें घर की बहू और बेटी की सदैव सम्मान करना चाहिए, क्योंकि जिस घर में बहू और बेटी का सम्मान नहीं होता उस घर में कभी लक्ष्मी जी वास नहीं करती, बल्कि कर्ज बढ़ता जाता है। इस मौके पर चरण सिंह राजपूत, अमरेख सिंह, ओम पुरोहित, रणवीर लल्ला, अगर सिंह चौहान, रानू तिवारी समेत समस्त श्रोतागण मौजूद रहे।