लालच और द्वेश विनाश के हेतू हैं : रामस्वरूपाचार्य

– त्रिमुखा देवी शक्तिपीठ टीकपी पर बही श्रीराम कथा की रसधार

भिण्ड, 01 अक्टूबर। त्रिमुखा देवी शक्तिपीठ टीकरी खुर्द मे नवकुण्डीय महाज्ञय एवं रामलीला मंचन के साथ नौ दिवसीय महायज्ञ में व्यासपीठ से 1008 रामस्वरूपाचार्य कामदगिरि चित्रकूट धाम के श्रीमुख से श्रीराम कथा की ज्ञानगंगा की रसधार बह रही है।
व्यासपीठ पर विराजमान आचार्य ने श्रीराम कथा में भरत चरित्र की कथा में राम भरत के मिलन को लेकर भ्रात प्रेम की व्याख्या की- ‘देखहि रात भयानक सपना, जागि करी कौटि कल्पना’ राजा दशरथ के देवलोक गवन के बाद भरत जी को भयानक स्वप्न होता है, वह जागकर भगवान भोलेनाथ से प्रार्थना करते हुए अपने परिजनों की कुशलता के लिए आशीष मांगते हैं। भरत जी को आठ दिन लगते हैं और अयोध्या से दूत को पहुंचने में छह दिन, पिता का अंतिम संस्कार करते ही गुरुदेव कहते हैं कि राज्य ग्रहण करें। भरत जी कहते हैं कि जिन जिन के द्वारा हमें राज्य देने की बात कही गई उनकी दशा क्या है। मां ने राज्य मांगा, वह विधवा हो गई, पिता ने राज्य दिया वह स्वर्ग सिधार गए, बड़े भाई श्रीराम ने राज्य दिया वह वन गवन कर गए, इसलिए गुरुदेव हम श्रीराम के पास जाने के लिए वन गमन करेंगे, उसके बाद भरत जी का चित्रकूट में श्रीराम से मिलन इस बात की साक्षी भरता है कि भाई को भाई के प्रति सदैव भ्रातप्रेम के प्रति निष्ठावान होकर प्रेमयुक्त होना चाहिए।
संसार में हर दुर्लभ से दुर्लभ को हासिल करने के लिए भाई-भाई में प्रेम शरीर और आत्मा की संगति समान हो, एक के बिना दूसरे का कोई अर्थ नहीं, लालच और द्वेश विनाश के हेतू हैं, प्रेम परमात्मा का स्वरूप है, प्रेम रूपी परमात्मा के सानिध्य मे संसार की हर दुर्लभ बस्तु हासिल की जा सकती है, माताओं के लिए हम यही कहेंगे कि परिवार की एकजुटता और प्रेम का सानिध्य बनाए रखते हुए हर कीमत पर परिवार को भोजन एक स्थान यानी एक ही चूल्हे पर बनाकर खिलाने की शक्ति और साहस बनाए रखना, जो भी महिला इस प्रयोजन को जीवन में प्रयोग करते हुए परिवार सकुशल बनाने में सहयोग करती है वह साक्षात् सीता माता की तरह सौभाग्यशाली है। वह माता, बहनें वंदनीय, पूजनीय हैं, उन्हीं के जीवन चरित्र से परिवार समाज और राष्ट्र अखण्ड सौभाग्यशाली होकर चहुमुखी विकास के पथ पर अग्रसर होकर विश्वगुरू बनने में महारत हासिल करेगा।
रामकथा का शुभारंभ देववाणी द्वारा स्तुति गायन से प्रारंभ कर श्रीगणेश पूजा अर्चना के साथ रामस्वरूपाचार्य का माल्यार्पण कर शॉल भेंटकर सम्मान करते हुए मंचासीन संतजन के चरण स्पर्श कर नाथूराम शर्मा, ब्रजमोहन उर्फ लला चुरारिया ने आशीर्वाद लिया। भंडारा पंगति में बैठे समस्त संतजन को विदाई भेंट करते हुए भण्डारे में संतजनों का आशीर्वाद प्राप्त किया।
समाजसेवी नाथूराम चुरारिया ने सौ क्विंटल शक्कर एवं दिया भण्डारा
आज भण्डारा देने वाले समाजसेवी नाथूराम चुरारिया, ब्रजमोहन शर्मा चुरारिया निवासी तेजपुरा ने बड़ी संख्या मे आए संतजन एवं लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं को भंडारा प्रसादी ग्रहण कराई।
इस अवसर पर समाजसेवी चुरारिया ने कहा कि ऐसे धार्मिक आयोजन होते रहेंगे तो हमारी नई पीढ़ी जो सोशल मीडिया और मोबाइलों में भटक रही है, बच्चे अपने संस्कार भूलते चले जा रहे हैं, वाट्सएप, फेसबुक ने हमारी नई पीढ़ी को अपनी जकड़ में ले रखा है, ऐसे संतजनों से हमें और हमारे बच्चों को श्रीराम कथा, भागवत कथा श्रवण करनी चाहिए। उन्होंने त्रिमूखा मैया के महंत 1008 कमलदास महाराज का स्वागत किया।