लहार के अधिवक्ता ने लंदन में आयोजित भारत-यूके मध्यस्थता सम्मेलन में लिया भाग

भिण्ड, 07 जून। लंदन के ऐतिहासिक चर्च हाउस वेस्टमिंस्टर में भारतीय मध्यस्थता परिषद (आईसीए) द्वारा आयोजित ‘भारत-यूके वाणिज्यिक विवादों पर मध्यस्थता’ मध्यस्थता प्रक्रियाओं का समन्वय विषयक तीसरे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का भव्य आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में भारत और यूनाइटेड किंगडम के मध्य मध्यस्थता प्रक्रियाओं के समन्वय, कानूनी सहयोग और व्यवसायिक विवाद समाधान को लेकर गहन चर्चा हुई।
सम्मेलन की शोभा भारत के मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई तथा भारत सरकार के केन्द्रीय विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल की उपस्थिति से और बढ गई। दोनों ने भारत की मध्यस्थता प्रणाली के विकास और अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी की आवश्यकता पर बल दिया। आईसीए के महानिदेशक अरुण चावला और अध्यक्ष डॉ. एनजी खेतान द्वारा उदघाटन और स्वागत भाषण प्रस्तुत किए गए। इस अवसर पर यूके सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश लॉर्ड माइकल ब्रिग्स, भारत के उच्चायुक्त विक्रम के. दोराईस्वामी और आईसीए सलाहकार समिति की सदस्य व बैरिस्टर सुश्री करिश्मा वोरा भी प्रमुख वक्ता रहे।
इस वैश्विक सम्मेलन में अधिवक्ता अक्षय प्रताप सिंह कौरेव (संस्थापक- स्वयं एनजीओ एवं सह-संस्थापक-लॉसेंट्रा) को आमंत्रित्त किया, जिन्होंने कार्यक्रम में शामिल होकर भाग लिया। वर्तमान में वे लंदन में अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून में स्नातकोत्तर अध्ययन कर रहे हैं। उन्होंने इस सम्मेलन में युवाओं के दृष्टिकोण से सहभागिता की और विभिन्न सत्रों में कानूनी विषयों पर चर्चा को सुना और समझा। हाल ही में उन्हें भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा नेशनल आइकॉन अवार्ड से सम्मानित किया गया, जो उनके सामाजिक योगदान और युवाओं के सशक्तिकरण के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
तकनीकी सत्रों में भारत और यूके के वरिष्ठ अधिवक्ताओं और न्यायिक विशेषज्ञों जैसे डॉ. पिंकी आनंद, सुश्री गीता लूथरा, अमित सिब्बल, मोहित सराफ, सुश्री पायल चटर्जी, तथा यूके के कानूनी विशेषज्ञ सुश्री शेरिना पेटिट, रॉबर्ट लॉरी, सुश्री एनाबेल थॉमस, और सुश्री केट कॉर्बी ने मध्यस्थता की कार्यप्रणाली, पारदर्शिता, और नवीनतम विधिक दृष्टिकोणों पर विचार प्रस्तुत किए। कार्यक्रम के दौरान आईसीए और आरआईसीएस के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किए गए, जिसका उद्देश्य भारत और यूके के मध्यस्थता ढांचे में समन्वय और व्यावसायिक क्षमता को बढावा देना है। अधिवक्ता अक्षय प्रताप सिंह कौरव की भागीदारी इस बात का प्रतीक है कि भारत की नई पीढी न केवल देश के भीतर, बल्कि वैश्विक मंचों पर भी नेतृत्व करने में सक्षम है। उनका भागीदारी आने वाले समय में भारतीय युवाओं को अंतर्राष्ट्रीय न्यायिक परिदृश्य में अपनी भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करेगा।