संस्कारों से अभिसिंचित शिक्षा की सफलता की कुजी है : सत्यभान

भाविप का गुरू वंदन छात्र अभिनंदन कार्यक्रम आयोजित

भिण्ड, 09 नवम्बर। भारत विकास परिषद शाखा भिण्ड द्वारा गुरू वंदन छात्र अभिनंदन कार्यक्रम की श्रृंखला को अनवरत रखते हुए बुधवार को शहर के रेड रोजइंटर नेशनल स्कूल में कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती पूजन से करते हुए अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक जिला शिक्षा केन्द्र भिण्ड सत्यभान सिंह भदौरिया ने बताया कि प्राचीन भारतीय संस्कृति में गुरू और शिष्य के संबंधों का आधार था, गुरू का ज्ञान, मौलिकता और नैतिक बल, उनका शिष्यों के प्रति स्नेह भाव तथा ज्ञान बांटने का नि:स्वार्थ भाव, जो भावना उस समय के हर शिक्षक में होती थी। वहीं उस समय के शिष्य भी गुरू के प्रति पूर्ण श्रृद्धा, गुरू की क्षमता में पूर्ण विश्वास तथा गुरू के प्रति पूर्ण समर्पण एवं आज्ञाकारी होते थे, उसके अनुसार अनुशासन को शिष्य का सबसे बड़ा महत्वपूर्ण गुण माना गया है, यही गुरू शिष्य परंपरा का सार है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे परिषद के वरिष्ठ सदस्य व जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. डीके शर्मा ने बताया कि आज के आधुनिक समय में किसी भी कामियाब व्यक्ति के जीवन पर नजर डालें, तो यह स्पष्ट नजर आता है कि उसको सफलता की बुलंदियों पर पहुचाने में उसके शिक्षक का अनमोल योगदान रहा है। जीवन में एक अच्छा शिक्षक अपने हर शिष्य को सर्वश्रेष्ठ ज्ञान उपलब्ध करवाने का प्रयास करता है, जिससे कि उसके शिष्य का भविष्य उज्जवल हो और वो सफलता के नित नए आयाम स्थापित करके जीवन को सही मार्ग पर ले जा सके। किसी भी छात्र के जीवन को सफल बनाने में शिक्षक बहुत ही अहम किरदार निभाता है। शिक्षक अपने छात्र को अच्छी शिक्षा देकर उन्हें देश का अच्छा नागरिक बनाता है।
सेवानिवृत्त व्याख्याता जेएन पाठक ने बताया कि गुरू-शिष्य की महान परंपरा भारत की संस्कृति का आदिकाल से एक अहम और पवित्र हिस्सा रही है। लेकिन हमारे जीवन में माता-पिता हमारे प्रथम गुरू हैं, क्योंकि वो ही हमारा इस निराली दुनिया से परिचय करवाते हैं और हमको जीवन जीना सिखाते हैं। इसलिए हमेशा कहा जाता है कि जीवन के सबसे पहले गुरू हमारे माता-पिता होते हैं।
श्रवण पाठक ने भारत विकास परिषद की संरचना पर प्रकाश डालते हुए परिषद के क्रियाकलापों के बारे में सभी को अवगत कराया। जिसके उपरांत कार्यक्रम के मुख्य स्वरूप में विद्यालय से विभिन्न कक्षाओं में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों जीविका सिंह, नम्रता बरुआ, मयंक राजावत, परी शर्मा, रुद्रप्रताप सिंह चौहान को उपस्थित अतिथियों ने मेडल पहनाकर व प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया। साथ ही दो श्रेष्ठ शिक्षकों में श्रीमती हिना कौसर व श्रीमती शीतल चतुर्वेदी को शिक्षक सम्मन हेतु नामांकित किया गया। कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम संयोजक गणेश भारद्वाज ने किया। समापन में सभी ने गुरुओं के सम्मान व सदाचार की शपथ ली व सामूहिक रूप से राष्ट्रीय गान का गायन हुआ। कार्यक्रम में शाखा अध्यक्ष डॉ. साकार तिवारी, सचिव धीरज शुक्ला, आशीष शर्मा, प्रमोद शर्मा, प्राचार्य श्रीमती सिकरवार, राकेश इंसानियत सहित विद्यालय परिवार तथा छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।