ग्राम बिरखड़ी में कलश यात्रा के साथ शुरू हुई श्रीमद् भागवत कथा

भिण्ड, 14 जून। गोहद क्षेत्र के ग्राम बिरखड़ी में श्रीमद् भागवत कथा का कलश यात्रा के साथ शुभारंभ मां अन्नपूर्णा लाड़ली सरकार की भागवताचार्य देवी संध्या जी के नेतृत्व में कथा आयोजन स्थल से सभी ग्राम मन्दिरों में पूजा अर्चना के साथ शुरू हुआ। कलश यात्रा में बड़ी संख्या में महिला श्रृद्धालु एवं भक्तजनों के साथ ग्रामों के पवित्र स्थलों से गुजरते हुए कथा आयोजन स्थल पर धार्मिक विधि एवं मंत्रोच्चरण के साथ स्थापित किया गया तथा आरती की गई।


इस अवसर पर भागवताचार्य देवी संध्या जी ने उपस्थित श्रृद्धालुओं को श्रीमद् भागवत कथा की महिमा से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि विश्व में सभी कथाओं में श्रीमद् भागवत कथा श्रेष्ठ मानी गई है। जिस स्थान पर इस कथा का आयोजन होता है, वो तीर्थ स्थल कहलाता है। इसका सुनने एवं आयोजन कराने का सौभाग्य भी प्रभु प्रेमियां को ही मिलता है। ऐसे में अगर कोई दूसरा अन्य भी इसे गलती से भी श्रवण कर लेता है, तो भी वो कई पापों से मुक्ति पा लेता है। इसलिए सात दिन तक चलने वाली इस पवित्र कथा को श्रवण करके अपने जीवन को सुधारने का मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहिए। अगर कोई सात तक किसी व्यवस्तता के कारण नहीं सुन सकता है, तो वह दो तीन या चार दिन ही इसे सुनने के लिए अपना समय अवश्य निकालें। तब भी वो इसका फल प्राप्त करता है, क्योंकि ये कथा भगवान श्रीकृष्ण के मुख की वाणी है, जिसमें उनके अवतार से लेकर कंस वध का प्रसंग का उल्लेख होने के साथ साथ इसकी व्यक्ति के जीवन में महत्ता के बारे में भी बताया गया है। इसके सुनने के प्रभाव से मनुष्य बुराई त्याग कर धर्म के रास्ते पर चलने के साथ-साथ मोक्ष को प्राप्त करता है।
देवी संध्या ने बताया कि इस कथा को सबसे पहले अभिमन्यु के बेटे राजा परीक्षित ने सुना था, जिसके प्रभाव से उसके अंदर तक्षक नामक नाग के काटने से होने वाली मृत्यु का भय दूर हुआ और उसने मोक्ष को प्राप्त किया था। उन्होंने भागवत कथा श्रवण करने के लिए सभी भक्तजनों को आमंत्रित किया है।