श्रीमद् भागवत कथा में किया उद्धव चरित्र व रुक्मणी विवाह का वर्णन

दंदरौआ महंत रामदास महाराज ने भक्तों को आशीर्वाद देकर बताया श्रीमद् भागवत कथा का महत्व

भिण्ड, 22 अप्रैल। मेहगांव क्षेत्र के ग्राम कनाथर के तिवरिया वाले बाबा परिसर में छठवें दिन श्रीमद् भागवत कथा में कथावाचक आचार्य श्री अरविंद भारद्वाज ने कहा कि दूसरे की पीड़ा को समझने वाला और मुसीबत में दूसरों की सहायता करने के समान कोई पुण्य नहीं है। इसलिए जीव को धन, प्रतिष्ठा के साथ सामाजिक कार्यों में सेवा करनी चाहिए। इस मौके पर दंदरौआ धाम के महंत श्रीश्री 1008 महमण्डलेश्वर रामदास जी महाराज ने उपस्थित होकर भक्तों आशीर्वा देकर श्रीमद् भागवत कथा का महत्व समझाया।
कथा व्यास भारद्वाज ने उद्धव चरित्र का वर्णन किया। उद्धव साक्षात ब्रहस्पति के शिष्य थे। मथुरा प्रवास में जब श्रीकृष्ण को अपने माता-पिता तथा गोपियों के विरह दुख का स्मरण होता है तो उद्धव को गोकुल भेजते हैं। गोपियों के वियोग-ताप को शांत करने का आदेश देते है। उद्धव सहर्ष कृष्ण का संदेश लेकर ब्रज जाते हैं और गोपों तथा गोपियों को प्रसन्न करते हैं और श्रीकृष्ण जी के प्रति गोपियों के कांता भाव के अनन्य अनुराग को प्रत्यक्ष देखकर उद्धव अत्यंत प्रभावित होते है। वे श्रीकृष्ण का यह संदेश सुनाते हैं कि तुम्हे मेरा वियोग कभी नहीं हो सकता, क्योंकि मैं आत्मरूप हूं। सदैव मेरे ध्यान में लीन रहो। तुम सब वासनाओं से शून्य शुद्ध मन से मुझ में अनुरक्त रहकर मेरा ध्यान करने में शीघ्र ही मुझे प्राप्त करोगी। भगवान श्रीकृष्ण कथा का आरंभ करते हुए कथावाचक ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया। उपस्थित भक्तजन नाचने पर मजबूर होकर भगवान कृृष्ण का गुणगान किया। श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में क्षेत्रवासियों की भागीदारी रही और सबने आनंदमय भक्तिमय वातावरण में कृष्ण भावनामृत भक्ति में डूबकर कथा का आनंद लिया। कथा का आयोजन रविन्द्र सिंह उर्फ मुन्ना गुर्जर द्वारा कराया जा रहा है।