अटलजी की स्मृति में व्याख्यान एवं रचनाकार कार्यक्रम आयोजित

ग्वालियर, 29 मई। काल के कपाल पर अटल बिहारी वाजपेई की स्मृति में व्याख्यान एवं रचनाकार कार्यक्रम ग्वालियर में आयोजित किया गया।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता रामकिशोर उपाध्याय ने अटलजी के साहित्य पक्ष पर प्रकाश डाला। वह एक अच्छे कवि, अच्छे लेखक, संपादक, साहित्यकार में पहले जाने जाते हैं बाद में राजनेता के रूप में जाने गए। उन्होंने अपने उदबोधन में अटल जी की कविताओं के माध्यम से उनमें निहित संदेशों के बारे में बताया और कहा कि हमें रावी का संदेश नहीं भूलना चाहिए। अपने दृढ़ विश्वास अपने अंदर उत्पन्न करना होगा कि भारत अखण्ड बनेगा।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे श्रीधर पराडक़र ने कहा कि अटल जी नरम पंथी थे, ऐसा माना जाता है। पर जीवन के पहलू पर उन्होंने सख्त निर्णय लिए। हम सभी महान विभूतियों को मनुष्य ही मान कर प्रेरणा लेनी चाहिए। हम क्या करते हैं उन्हें देवता मानकर पूजा करने लगते और उनसे कुछ सीखना बंद कर देते हैं। साहित्य और राजनीति दोनों विरोधावासी विषय होता जिसमें 36 का नहीं 63 का आंकड़ा होता है। फिर भी उन्होंने दोनों का सम्मान बराबर किया। सभी रचनाकारों का सम्मान एवं आभार मप्र साहित्य अकादमी के निदेशक विकास दवे ने किया। कार्यक्रम का संचालन व्याप्ति उमड़ेकर ने किया।
द्वितीय सत्र में काल के कपाल पर कार्यक्रम में काव्य गोष्ठी जिसमें ग्वालियर से गीतकार राजेश शर्मा, वीर रस के कवि देवेन्द्र सिंह तोमर मुरैना, डॉ. शिवप्रताप सिंह भिण्ड, आशुतोष शर्मा शिवपुरी, डॉ. करुणा ग्वालियर, व्यक्ति उमड़ेकर गुना ने काव्य पाठ किया। गोष्ठी का संचालन ऋषिकेश भार्गव ने वीर रस काव्य पाठ के साथ किया। कार्यक्रम में प्रकाश मिश्र, मुरारीलाल गुप्त गितेश, सुरेन्द्र सिंह भदौरिया, दिनेश पाठक, डॉ. कुमार संजीव, कुंदा जोगलेकर, उपेन्द्र कस्तूरे, रामचरण चिरार रुचिर, लोकेश तिवारी, धीरज शर्मा, मंदाकिनी शर्मा आदि गणमान्य लोग उपस्थित रहे।