भिण्ड, 08 दिसम्बर। कार्यक्रम के अंतिम दिन गणाचार्य विराग सागर महाराज का 39वां मुनि दीक्षा दिवस मनाने का सौभाग्य भक्तगणों को मिला। जिसमें सर्व प्रथम छोटी छोटी बालिकाओं द्वारा मंगलाचरण किया गया। तत्पश्चात आचार्य का पाद प्रक्षालन, जिनवाणी भेंट व पूजन आरती का कार्यक्रम बड़े ही हर्षोल्लास के साथ किया गया।
इस मौके पर आचार्यश्री ने कहा कि सारे जगत में प्रमुख रूप से गुरू की प्रधानता होती है। गुरू बिना जीवन शून्य होता है। जीवन का प्रारंभ गुरू से ही होता है, गुरू ही हमारे जीवन में प्रकाश लाते हैं एवं समय समय पर साहस प्रदान करते हंै। उन्होंने कहा कि हमारे गुरूवर आचार्य विमल सागर महाराज थे। जिन्होंने सिर्फ अपने ही जीवन को प्रकाशित नहीं किया अपितु हमारे लिए भी उंगली पकड़कर मोक्ष की ओर चलाया। उन्हीं गुरूवर का उपकार दिवस आज हमारे जीवन में आया है। 38 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं, जब 38 वर्ष पूर्व हम पहुंचते हैं तो स्मरण आता है कि हम तो क्षुल्लक अवस्था के गुरू सन्मति सागर महाराज की आज्ञा से केवल उनके गुरू विमल सागर महाराज के दर्शन करने गए थे। पर उनका एक ऐसा निमित्त जान था कि उन्होंने मुझे देखते ही कहा कि क्यों क्षुल्लक यहां दीक्षा लेने आया है जबकि उस समय मेरा कुछ ऐसा विचार नहीं था।
श्री 1008 वासुपूज्य दिगंबर जैन गौरी के पास हुए मन्दिर जीर्णोद्धार के पश्चात गणाचार्य विराग सागर महाराज के ससंघ सानिध्य में मन्दिर के भगवान वासुपूज्य की मूलनायक प्रतिमा के साथ 17 प्रतिमाएं एवं शिखर पर कलशारोहण प्रतिष्ठाचार्य संदीप शास्त्री मेहगांव के निर्देशन में विधि विधान के साथ स्थापित की गई, जिसमें बड़ी संख्या में समाज के महिला, पुरुष एवं बच्चों ने भागीदारी की।
हुआ पिच्छिका परिवर्तन
गणाचार्य विराग सागर महाराज के 39वें मुनि दीक्षा दिवस के अवसर पर प्रात:कालीन विधि विधान के साथ पूजन समाज के विभिन्न संगठनों द्वारा किया गया। तत्पश्चात गणाचार्य विराग सागर महाराज का पिच्छिका परिवर्तन समारोह कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें पुरानी पिच्छिका मुनि विधेय सागर महाराज के गृहस्थ जीवन के माता पिता को मिली।
आचार्य श्री का हुआ विहार
गणाचार्य विराग सागर महाराज के ससंघ सानिध्य में इटावा उप्र के निकट कुनैरा ग्राम मं पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन 10 से 14 दिसंबर तक आयोजित होने जा रहा है। उक्त कार्यक्रम के लिए आचार्य ससंघ का मंगल विहार बुधवार आठ दिसंबर की दोपहर तीन बजे हुआ।







