दिल्ली में मोदी बनाम केजरीवाल बनाम राहुल


– राकेश अचल


दिल्ली विधानसभा का चुनाव है तो मुंबई महापालिका से भी छोटा, लेकिन इस चुनाव को जीतने के लिए भाजपा और कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टियां आम आदमी पार्टी जैसे छोटे से दल से भिड गई हैं। इस चुनाव को अब दिल्ली वाले केजरीवाल बनाम मोदी बनाम राहुल होते देख रहे हैं। सत्तारूढ होने की वजह से जहां भाजपा ये चुनाव जीतने के लिए साम-दाम-दण्ड और भेद का इस्तेमाल कर रही है, वहीं कांग्रेस भी आम आदमी पार्टी को आस्तीन का सांप मानकर कुचलने में जुटी हुई है।
सबसे पहले सत्तारूढ दल की बात करते हैं। इस चुनाव में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केन्द्र में सत्तारूढ भाजपा के ऊपर जितने भी हमले किए हैं उनका बचाव प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्ढा से लेकर पार्टी के हर छोटे बडे नेता को करना पड रहा है। संख्याबल और अनुभव के हिसाब से देखें तो भाजपा के समाने आम आदमी पार्टी अभी भी शैशवकाल में है, लेकिन उसका हौवा इतना है कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री तक को मैदान में उतरना पडा है। पूरे देश में भाजपा और डबल इंजिन की जितनी भी राज्य सरकारें हैं उनके मुख्यमंत्री भी दिल्ली जितने के लिए अपने-अपने कौशल का प्रदर्शन कर रहे हैं। एक यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जरूर महाकुम्भ हादसे की वजह से दिल्ली नहीं जा पाए।
भाजपा ने दिल्ली जीतने के लिए अपने सभी आजमाए हुए फार्मूले दिल्ली में भी अपनाए हैं। भाजपा ने केन्द्रीय चुनाव आयोग का खुलकर दुरुपोग किया है। पुलिस का इस्तेमाल किया है। आम आदमी पार्टी पर दबाब बनाने के लिए दिल्ली स्थित पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के घर छापा मरने की कोशिश की है। आम आदमी पार्टी के सात पूर्व विधायकों के असंतोष का फायदा उठाते हुए उन्हें पार्टी छोडकर बाहर आने पर मजबूर कर दिया है। अब ये सब भाजपा के लिए काम करेंगे। आम आदमी पार्टी सरकार के मुखिया से लेकर पुराने केजरीवाल मंत्रिमण्डल के तीन मंत्रियों को जेल की हवा पहले ही खिलाई जा चुकी है, यहां तक कि आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह को भी जेल यात्रा करना पडी है।
अब कांग्रेस की बात करते हैं। कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के साथ इंडिया गठबंधन में तालमेल बनाए रखने की बहुत कोशिश की, लेकिन आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस का लिहाज न मप्र विधानसभा चुनाव में किया और न हरियाणा और महाराष्ट्र में। गुजरात में तो किया ही नहीं, उल्टे दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस से अपने रिश्ते खराब और कर लिए। आम आदमी पार्टी ने भाजपा के भ्रष्ट नेताओं की सूची में लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी को भी जोड लिया। आम आदमी पार्टी की इस हरकत के बाद कांग्रेस ने भी आम आदमी पार्टी को आस्तीन का सांप मानकर उसका फन कुचलना शुरू कर दिया है।
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ही नहीं बल्कि उनकी बहन प्रियंका वाड्रा और पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे भी अब आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल पर लगातार हमले कर रहे हैं। कांग्रेस भी भाजपा की तर्ज पर केजरीवाल को महाभ्रष्ट बता रही है। मुख्यमंत्री आवास को शीशमहल बनाने और शराब घोटाले के आरोप लगा रही है। कांग्रेस आम आदमी पार्टी को भाजपा की बी टीम बता रही है। भाजपा ने जहां दिल्ली में हिन्दुओं का ध्रुवीकरण करने की कोशिश की है, ठीक वैसे ही कांग्रेस ने अल्पसंखयकों को अपने साथ रखने का प्रयास किया है।
दिल्ली में पहली बार विधानसभा का चुनाव साफ तौर पर त्रिकोणीय बना है। दिल्ली में इस बार आम आदमी पार्टी स्पष्ट बहुमत से बहुत दूर खडी दिखाई दे रही है। ऐसे में स्थितियां ऐसी बन सकती हैं कि आम आदमी पार्टी को सत्ता में बने रहने के लिए या तो एक बार फिर कांग्रेस के समाने समर्पण करना होगा या सचमुच में भाजपा की बी टीम बनकर रहना होगा। ये भी हो सकता है कि यही समस्या भाजपा और कांग्रेस के सामने भी आए। कुल जमा पशोपेश दिल्ली के मतदाता की है। उसे तय करना है कि वो कौन से भ्रष्ट दल की सरकार बनाती है, क्योंकि आम आदमी पार्टी भाजपा और कांग्रेस को महाभ्रष्ट बता चुकी है, वहीं कांग्रेस और भाजपा ने आम आदमी पार्टी को समवेत स्वर में महाभ्रष्ट कहा है। अर्थात दिल्ली में दूध का धुला कोई दल नहीं है।
आगामी 5 फरवरी को दिल्ली में मतदान है। उसी दिन प्रधानमंत्री दिल्ली जीत की कामना लेकर प्रयागराज में आयोजित महाकुम्भ में डुबकियां लगाने जाएंगे। उन्हें यूपी के मुख्यमंत्री को पापमुक्त करने के लिए भी डुबकी लगना है। राहुल गांधी या उनके परिवार ने अपने आपको महाकुम्भ से मुक्त रखा है। शायद उन्हें न मोक्ष की कामना है और न पापों से मुक्ति की। मुमकिन है कि वे अपने आपको पापी समझते ही न हों। कांग्रेस की सहयोगी समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने तो महाकुम्भ में डुबकी लगा ली है। लेकिन पुण्य लाभ किसे मिलने वाला है इसका पता 8 फरवरी को ही चलेगा।
आपको बता दें कि दिल्ली भले ही पूर्ण राज्य नहीं है, किन्तु यहां विधानसभा के चुनाव 1952 से ही हो रहे हैं। यहां के पहले मुख्यमंत्री कांग्रेस के चौधरी ब्रह्मप्रकाश थे। फिर गुरुमुख निहाल सिंह मुख्यमंत्री बने। दिल्ली में 1956 से 1993 के विधानसभा के चुनाव नहीं हुए और जब 1993 में दोबारा विधानसभा के चुनाव हुए तो 1998 तक भाजपा ही सत्ता में रही। इस काल में भाजपा ने मदनलाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज को मुख्यमंत्री बनाया। 1998 से 2013 तक दिल्ली पर कांग्रेस की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का एकछत्र राज रहा। 2013 में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस से सत्ता छीनी और तब से आज तक आम आदमी पार्टी ही दिल्ली की सत्ता में है। हालांकि इस बीच दो बार मुख्यमंत्री रहे अरविंद केजरीवाल को शराब घोटाले में आरोपी बनने के बाद पद छोडना पडा। इस समय दिल्ली में आतिशी मलना खडाऊ राज कर रही हैं। अब देखना ये है कि आम आदमी पार्टी लगातार सत्ता में बने रहने का कीर्तिमान बना पाती है या नहीं?