शरद ऋतु की मधुर चांदनी में कान्हा संग थिरकी गोपियां…

महिला काव्य मंच की मासिक गोष्ठी आयोजित

ग्वालियर, 20 अक्टूबर। महिला काव्य मंच ग्वालियर की मासिक गोष्ठी का आयोजन मंगलवार को आभासीय पटल गूगल मीट पर किया गया। गोष्ठी का संयोजन मकाम की राष्ट्रीय सचिव डॉ. ज्योत्स्ना सिंह राजावत एवं ग्वालियर इकाई अध्यक्ष डॉ. निशी भदौरिया ने किया। यह मनमोहक गोष्ठी नवदुर्गा पर्व से आरंभ होकर शरद पूर्णिमा, दशहरा, करवा चौथ, दीपावली और कृष्ण की रासलीला का रास कान्हा और गोपियों का मंच पर देखते ही बन रहा था, वह क्षण बहुत आनंददाई रहा। गोष्ठी में ग्वालियर की कवयित्रियों के साथ साथ मॉरीशस, जबलपुर, मुरैना, बरसाने, जयपुर, इंदौर, बेवर उत्तर प्रदेश से कवयित्रियों ने अपनी प्रस्तुतियां दीं। पर्व कोई भी हो, हर पर्व का अपना एक अलग ही आनंद होता है, अगर आनंद काव्य के माध्यम से हो तो तन और मन बेहद प्रफुल्लित रहता है। इस महिला काव्य मंच पर कुछ सखियों ने मां दुर्गा से सुख समृद्धि की कामना की, वहीं दूसरी ओर कुछ सखियों ने चांद को ही ताना दे दिया। शरद पूर्णिमा की मनमोहक धवल चांदनी का प्रभाव पूरे पटल पर सर्वत्र फैला रहा।
इस मंच के सभी सितारे गुणी विचारक श्रेष्ठ वक्ता कलम के धनी थे, जिनका प्रभाव उनकी रचनाओं में स्पष्ट दिखाई दे रहा था। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. राजरानी शर्मा ने की, आप पुणे से इस गोष्ठी में जुड़ी। मुख्य अतिथि डॉ. रेणु उपाध्याय बरसाने से एवं विशिष्ट अतिथि चंदा गुप्ता नेह मारीशस से गोष्ठी में उपस्थित हुईं। सस्वर बेहद प्रभावी सरस्वती वंदना कर माँ शारदे को रिझाया डॉ. रेणु उपाध्याय ने। कार्यक्रम का संचालन सुषमा खरे एवं आभार डॉ. निशी भदौरिया ने व्यक्त किया। मंचस्थ अतिथि कवित्रियों में डॉ. राजरानी शर्मा और डॉ. रेनू उपाध्याय ने बहुत सुंदर श्रीकृष्ण की लीला का अद्भुत वर्णन किया, ऐसा लग रहा था मानो बरसाने में कान्हा के साथ सारी गोपियां रास रचा रही हैं। शरद ऋतु के चांद का मधुर स्वर में वर्णन करने वाली बहनों में मनीषा गिरी ने दीप फिर जलता है, अंधियारों को मिटाता है.. से कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
सुषमा खरे सिहोरा जबलपुर ने कहा कि ‘शरद का चाँद’ चांद शरद का ऐसा खिला है।चंहुदिश विखर रही है चांदनी।। डॉ. चंदा गुप्ता ‘नेह’ ने बहुत ही मधुर आवाज में श्रेष्ठ प्रस्तुति दी- आज शरद पूर्णिमा, चांद मेरे अंगना, उतर आयो हो।। डॉ. निशी भदौरिया ने अपनी रचना में. मां दुर्गे से बड़ी श्रृद्धा के साथ प्रार्थना की। करवा चतुर्थी का त्योहार मनुहार प्रियतम संग डॉ. ज्योति उपाध्याय ने की। डॉ. कल्पना कुशवाह ने चांद पर… रात अंधेरी बीते पूनम आती है, मन का हर कोना रोशन कर जाती है। तन मन शीतल करता चन्दा आता है, जाने क्या क्या संदेशे दे जाता है।। विभा भटोरे ने सवैयाछंद में बहुत सुन्दर मन को छू लेने वाली रचना शीर्षक ‘सफाई’ का पाठ किया। सरिता गुप्ता वेबर उप्र ने व्हाट्सएप पटल पर अपनी बहुत सुंदर प्रस्तुति ऑडियो रिकॉर्ड कर भेजी- त्याग प्रेम और श्रद्धा का करवा चौथ व्रत आया है। जलता दीपक रहे नेह का यही संदेशा लाया है।।
डॉ. ज्योत्स्ना सिंह राजावत ने करवा चतुर्थी पर तुम्हारी चाहत की बंदिशों में खुद को कैद किया हमनें… सुंदर रचना का पाठ किया। शिल्पी पचौरी ने चांद के माध्यम से समानता के भाव का संदेश दिया- चांद तेरे जैसे क्यों न होते इंसान सब। जिसका न कोई धर्म है न कोई मजहब।। आरती आचार्य ने अपनी रचना यूं प्रस्तुत की- शीतल चंद्र, चंचल सी किरणें, आज धरा पर आईं उतर, तृषित नयन, तृप्त हो आए, आया शरद पूर्णिमा उत्सव।। सीता पवन चौहान ने चांद को ताना मारते हुए कहा- उपमाओं में ही बुड्ढा हो गया चांद। तम हर ले जो जग का सारा हमें ऐसा दीप जलाना है, मन कर दे जो गंगा की धारा हमें ऐसा दीप जलाना है
प्रेरणा परमार ‘तृष्णा’ ने मैं हूं सांस तुम्हारी तुम हो मेरी धड़कन बहुत सुंदर रचना अपने प्रियतम को समर्पित की। डॉ. प्रीति बरसेना ने शरद के चांद पर रचना का पाठ किया। नितिन शर्मा ने शरद पूर्णिमा के चांद का सुंदर वर्णन छंद में किया। प्रो. मीना श्रीवास्तव ‘पुष्पांशी’ ने अपनी रचना यूं पढ़ी- जलाए दीप हम मिलकर, कि आई है महालक्ष्मी। मिठाई आज खाएंगे, महल में नाचती पम्मी। कार्यक्रम में एडवोकेट रीता पाठक ने उपस्थिति देकर कार्यक्रम का मान बढ़ाया। आरती आचार्य ने अपनी रचना व्हाट्सएप पटल पर भेजी और कार्यक्रम में उपस्थिति दी।