शब्द की आराधना ही कविता के रूप में प्रस्फुटित होती है : डॉ. निराला

जैतपुरा मढ़ी में आयोजित श्रीमद् भावगत कथा में हुआ कवि सम्मेलन

भिण्ड, 16 अक्टूबर। कथा व्यास देवी संध्या के पावन सानिध्य में जैतपुरा मढ़ी में विगत नौ दिनों से चल रही श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन स्थानीय कवि सम्मेलन का आयोजन दिलीप सिंह राजावत की अध्यक्षता में किया गया। श्रीमद् भागवत कथा के परीक्षत लोकेन्द्र सिंह ने स्मृति चिन्ह तथा शॉल श्रीफल भेंट कर कवियों का सम्मान किया। कवि सम्मेलन का संचालन राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित साहित्यकार डॉ. सुनील त्रिपाठी निराला ने किया।

कवियों का सम्मान करते हुए परीक्षत लोकेन्द्र सिंह

हास्य व्यंग्य के प्रसिद्ध कवि समाजसेवी हरीबाबू शर्मा निराला ने व्यंग पर आधारित कविताएं सुनाकर जनता को आल्हादित किया। उनकी कविता ‘बालम हम समझा रए तुमको सरपंची जिन लडिय़ो’ को जनता ने खूब सराहा। श्रृंगार रस के युवा कवि हेमंत जोशी नादान दबोहा भिण्ड ने अपनी सारगर्भित कविता ‘इस धरा का इस धरा पर सब धरा रह जाएगा’ सुनाई। वीर रस के उभरते हस्ताक्षर आशुतोष शर्मा नंदू निवारी भिण्ड ने अपने काव्य में राष्ट्रप्रेम का जज्बा उभारते हुए पाकिस्तान को कड़ी फटकार लगाई। कवि नंदू ने कहा कि भूल मत जाना पाक, हम तुम्हारे बाप हैं। आध्यात्मिक प्रवृत्ति के संत कवि कौशलेन्द्र सिंह कौशल बाराकलां ने सुंदर घनाक्षरी तथा कविताओं के माध्यम से उपस्थित जनसमूह को आनंदित किया। सामाजिक सरोकार की कविताएं लिखने में सिद्धहस्त धर्मेन्द्र त्रिपाठी धरम मधैयापुरा ने ओजस्वी स्वर में कविता पाठ किया। मंच का संचालन कर रहे डॉ. निराला ने कहा कि शब्द की साधना ही कविता के रूप में प्रस्फुटित होती है। हम अक्षर की जितनी आराधना करेंगे हमारे भाव उतने ही प्रखर तथा प्रवाहमान होते चले जाएंगे। एक कवि का यह धर्म है कि वह राष्ट्रहित और समाजहित को सर्वोपरि रखते हुए काव्य का सृजन करें।