मिहोना में ‘मैं आर्यपुत्र हूं’ पुस्तक की समीक्षा संगोष्ठी आयोजित

संगोष्ठी में कवियों ने बहाई काव्य की धारा

मिहोना, 20 सितम्बर। नगर में साहित्य अकादमी मप्र संस्कृति परिषद भोपाल से संबंध पाठक मंच केन्द्र मिहोना के तत्वावधान में संगोष्ठी आयोजित हुई। जिसमें विद्वानों लेखकों द्वारा ‘मैं आर्यपुत्र हूं’ पुस्तक की समीक्षा की गई। उपस्थित साहित्यकारों द्वारा विभिन्न उदाहरण प्रस्तुत करते हुए समीक्षा की। गोष्ठी की अध्यक्षता किसान संघ के संभागीय मंत्री नरेन्द्र सिंहचौहान ने की।
मुख्य वक्ता डॉ. शिवेन्द्र सिंह शिवेन्द्र रोन ने समीक्षा करते हुए कहा कि कुछ लोग देश में भ्रम फैला रहे हैं कि आर्य बाहर से आए हैं, यह वामपंथी लेखकों का षड्यंत्र है, आर्य हमारे ही पूर्वज थे, हमें भ्रम फैलाने वाले लेखकों के चक्रों से बचना है। विशिष्ट अतिथि चंद्रशेखर उपाध्याय मिहोना ने वेदों के उदाहरण देते हुए बताया कि हम सभी आर्यों की संतान हैं। मुख्य अतिथि भागवत आचार्य पं. कैलाश नारायण शास्त्री ने बताया कि कुछ लोग यहां कृषि के साथ-साथ यज्ञ हवन पूजा तप भी करते थे और उन्होंने कबीला ग्राम व नगर बसाए, जो बाद में आर्य पुत्र कहलाए।
केन्द्र संयोजक हरीबाबू निराला ने कहा कि पुस्तक में ‘मैं आर्यपुत्र हूं’ पढ़कर हमें आर्यों की सच्चाई का पता लगता है, यह अंग्रेज एवं मुगलों की तरह बाहर के नहीं है, हमें अपने-अपने साहित्य एवं लेख के माध्यम से ऐसी कुचक्र चलाने वाले वामपंथी लेखकों को मुंहतोड़ जवाब देने की जरूरत है। आभार प्रदर्शन मण्डल अध्यक्ष विकास बोहरे एवं स्वागत मनोज बोहरे माहते ने किया। संगोष्ठी में कवि मुन्नालाल गुप्ता, कुंवर सिंह परिहार, बसंत तथा सुरेन्द्र शर्मा आदि ने कविता के माध्यम से उपस्थित लोगों को आर्यों के बारे में बताया। इस मौके पर पवन शुक्ला, पंकज सिरोठिया, सचिन शर्मा, देवेन्द्र पंडा, रवि भारद्वाज, नीरज शर्मा, आलोक शर्मा, आदित्य कृष्णकांत शर्मा उपस्थित थे।