मारपीट के मामले में पांच आरोपियों को एक-एक वर्ष का करावास

भिण्ड, 25 मई। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी मेहगांव, जिला भिण्ड के न्यायालय ने मारपीट कर घोर उपहति कारित करने वाले आरोपीगण कमल उर्फ कमलेश सिंह पुत्र लाखन सिंह उम्र 35 वर्ष, सुरेन्द्र पुत्र लाखन सिंह उम्र 41 वर्ष, लाखन पुत्र भोला सिंह उम्र 70 वर्ष, रुस्तम पुत्र लाखन सिंह उम्र 43 वर्ष, राकेश उर्फ राघवेन्द्र सिंह पुत्र लाखन सिंह उम्र 28 वर्ष निवासीगण ग्राम राउपुरा, थाना गोरमी को धारा 323/34 भादंवि में तीन-तीन माह सश्रम कारावास व 500-500 रुपए अर्थदण्ड व धारा 325/34 भादंवि में एक-एक वर्ष सश्रम कारावास व 500-500 रुपए जुर्माने से दण्डित किया है। न्यायालय में अभियोजन की ओर से पैरवी सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी प्रवीण सिकरवार ने की।
सहायक मीडिया सेल प्रभारी प्रवीण सिकरवार के अनुसार घटना संक्षेप में इस प्रकार है कि फरियादी ने अपने भाई जवान सिंह के साथ आकर थाने पर रिपोर्ट दर्ज कराइ कि बरसात के पानी को निकालने के लिए हम मोहल्ले वालों ने जेसीबी मशीन से शासकीय नाले की सफाई कराई थी, जिसमें मोहल्ले के सभी लोगों ने 100-100 रुपए देने को कहा था। जेसीबी वाले को उसने एक हजार रुपए भुगतान कर दिया था। वह एवं उसका भाई जवान सिंह 29 सितंबर 2013 को दिन के 11 बजे लाखन सिंह से चंदा के 100 रुपए मांगने गए थे, जहां पर रूपया नहीं देने पर हम लोगों का लाखन सिंह से वाद-विवाद व गाली-गलौच हो गया था। हम जैसे ही अपने घर की तरफ आए तो पीछे से लाखन सिंह बल्लम, रुस्तम सिंह कुल्हाड़ी, राघवेन्द्र सिंह फर्सा, सुरेन्द्र सिंह कुल्हाडी लेकर दरवाजे पर आ गए और गालियां देने लगे। जब गाली देने से मना किया तो सुरेन्द्र सिंह ने कुल्हाड़ी मारी, जो उसके सिर में लगी। लाखन ने बल्लम मारी, जिससे उसके दोनों हाथों में मुंदी चोट आई। उसके भाई जवान सिंह ने उसे बचाया तो राघवेन्द्र सिंह ने उसके सिर में फर्सा मारा, जो उसके सिर में लगकर खून निकलने लगा तथा बाद में कमलेश सिंह ने आकर मारपीट की थी। घटना बचन सिंह, सुघर सिंह व जबर सिंह ने देखी तथा उसे बचाया। आरोपीगण कह रहे थे कि आज तो बच गए, आइंदा जान से खत्म कर देंगे। फरियादी की उक्त रिपोर्ट पर थाना गोरमी में अपराध क्र.249/13 अंतर्गत धारा 451, 294, 323 व 506 भाग-02, 34 भादंवि की प्राथमिकी लेखबद्ध कर अनुसंधान में लिया गया। अनुसंधान कार्रवाईयां पूर्ण कर अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। अभियोजन की तर्कों से सहमत होकर न्यायालय द्वारा विचारण पश्चात आरोपीगण को उपरोक्त सजा से दण्डित किया है।