यहां भक्ति अधिक है, संतों का आवागमन बना रहता है : विहसंत सागर

मुनि संघ का परेड जैन मन्दिर में हुआ मंगल प्रवेश

भिण्ड, 24 मई। गणाचार्य विराग सागर महाराज के शिष्यमेडिटेशन गुरू उपाध्याय विहसंत सागर महाराज पेच नं.दो में पार्षद मनोज जैन के निवास पर विराजमान थे। जहां उन्होंने महावीर गंज एवं कुआं वाले जैन मन्दिर पर दो दिवसीय प्रवचन के आयोजन के पश्चात मुनि संघ 1008 चन्द्रप्रभु दिगंबर जैन परेड मन्दिर को पद विहार करते हुए बुधवार को सुबह आठ बजे पहुंचे। जहां पर श्रृद्धालुओं ने पाद प्रक्षालन करते हुए मुनि संघ की आगवानी की।
इस अवसर पर मेडिटेशन गुरू विहसंत सागर महाराज ने प्रवचन में कहा कि भिण्ड नगरी में भक्ति अधिक है, यहां पर संतों का आवागमन बना रहता है। इसलिए यहां के लोग बड़े ही सौभाग्यशाली हैं, जिन्हें दिन प्रतिदिन संतों के मांगलिक उद्बोधन, प्रवचन, आहार, विहार कराने का अवसर मिलता रहता है। उन्होंने कहा कि जैन आगम ग्रंथों में गृहस्थों के लिए प्रारंभिक अवस्था में पूज्य, पूजा, पूजक और पूजा का फल का वर्णन किया गया है। पहले यह जानना जरूरी है कि पूज्य कौन है? आप जानते ही हैं कि हमारे यहां वीतराग भगवान ही पूज्य हैं, जो अरिहंत हैं, सिद्ध हैं, पंचपरमेष्ठी हैं। बड़े-बड़े विद्वानों ने हमसे प्रश्न पूछा है कि महाराज आचार्य, उपाध्याय, साधु-संतों को नमस्कार किया जाता है, जरा इसे स्पष्ट करें, तो मैंने कहा कि आचार्य, साधु और उपाध्याय इन पदों से जो मोक्ष गए उनके लिए वह स्थान है उसमें भावलिंगी सभी समाहित होते हैं।
इस अवसर पर अमरचंद जैन, महेश पहाड़िया, नीरज जैन, विवेक जैन, आकाश जैन, रतनलाल जैन, बसंतलाल जैन, जयप्रकाश जैन, प्रकाश जैन, मनोज जैन, अशोक जैन, छोटेलाल जैन, राजीव जैन, आनंद सहारा, ऋषभ जैन, आभा जैन, सरला जैन, रेनू जैन, मीरा जैन, स्नेहलता जैन, सुमन जैन आदि लोग उपस्थित थे।
श्रुत पंचमी के अवसर पर हुआ विधान
मेडिटेशन गुरू उपाध्याय विहसंत सागर महाराज, मुनि विश्वसाम्य सागर महाराज के सानिध्य में चन्द्रप्रभु दिगंबर जैन परेड मन्दिर में श्रुत पंचमी के अवसर पर जिनवाणी विधान का आयोजन भक्तिभाव एवं संगीत की मधुर धुनों के साथ भक्ति करते हुए श्रृद्धालुओं ने 60 अष्टद्रव्य चढ़ाकर विधान का समापन किया। विधान के शुभारंभ में भगवान का महामस्तकाभिषेक एवं शांतिधारा का आयोजन किया गया।